जमशेदपुर में सरकारी नौकरी के नाम पर 9.50 लाख की ठगी, कदमा पुलिस ने आरोपी को दबोचा

जमशेदपुर : कदमा थाना क्षेत्र में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर की गई ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। पुलिस ने इस कांड में शामिल आरोपी प्रसन्नजीत नाहा को गिरफ्तार कर लिया है। पूरे मामले की जानकारी मंगलवार को सिटी एसपी कुमार शिवाशीष ने पुलिस ऑफिस में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दी।

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पड़ोसी निकला ठग

मामले में खास बात यह है कि ठगी करने वाला और पीड़ित दोनों पड़ोसी हैं। पुलिस के अनुसार, वादी दीक्षा महतो और आरोपी प्रसन्नजीत नाहा कदमा के रामनगर रोड नंबर 2 के रहने वाले हैं। दीक्षा महतो ने आरोपी पर भरोसा करते हुए सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर उसे 9.50 लाख रुपये सौंप दिए। आरोपी ने पैसे लेने के बाद उन्हें एक फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमा दिया, जिससे दीक्षा को लगा कि उनकी नौकरी पक्की हो गई है। लेकिन बाद में जब सच्चाई सामने आई तो उनके होश उड़ गए।

पहले से ही ठगी का आदी

पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपी प्रसन्नजीत नाहा पहले भी इस तरह की जालसाजी कर चुका है। वह नौकरी लगाने के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाता और मोटी रकम वसूलता था। हालांकि, यह पहला मौका है जब वह पुलिस की गिरफ्त में आया है। अधिकारियों का कहना है कि अब उसे जेल की हवा खानी पड़ेगी और उसके पुराने आपराधिक रिकॉर्ड की भी जांच की जाएगी।

फर्जी दस्तावेज और मुहर बरामद

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी के ठिकाने पर छापेमारी की। इस दौरान एक लैपटॉप, फर्जी जॉब ऑफर से संबंधित मार्कशीटें और कृषि विभाग, खनन विभाग व आयकर विभाग की नकली मुहरें बरामद की गईं। इन दस्तावेजों का उपयोग आरोपी नौकरी का झांसा देने के लिए करता था। पुलिस का मानना है कि आरोपी ने इन फर्जी कागजातों की मदद से कई लोगों को गुमराह किया होगा।

मूल रूप से असम का रहने वाला

पुलिस पूछताछ में यह भी सामने आया है कि प्रसन्नजीत मूल रूप से असम के जोरहट जिले के बासबाड़ी गांव का रहने वाला है। हालांकि, वह कब से कदमा इलाके में रह रहा था और अब तक कितने लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना चुका है, इसकी तफ्तीश अभी जारी है। पुलिस इस बात का भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस ठगी में और लोग भी शामिल हैं।

पुलिस ने दी चेतावनी

सिटी एसपी कुमार शिवाशीष ने आम लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर किसी को भी पैसे न सौंपें। उन्होंने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होती है और इसके लिए किसी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं है। अगर कोई व्यक्ति नौकरी के नाम पर पैसा मांगता है तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ठग किस तरह लोगों के विश्वास का फायदा उठाकर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं। पुलिस की कार्रवाई से फिलहाल पीड़िता को राहत मिली है, लेकिन इस तरह के मामले लोगों को सतर्क रहने की बड़ी सीख देते हैं।