भारत निर्वाचन आयोग की बड़ी कार्रवाई, सैकड़ों राजनीतिक दल सूची से बाहर

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देशभर में राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में सख्त कदम उठाए हैं। आयोग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सैकड़ों पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूची से बाहर कर दिया है। इस कार्रवाई में झारखंड की सात और बिहार की 30 क्षेत्रीय पार्टियां भी शामिल हैं। इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है।

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चुनाव आयोग के अनुसार, देश में राजनीतिक दल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के प्रावधानों के तहत पंजीकृत होते हैं। पंजीकृत दलों को कई विशेषाधिकार मिलते हैं, जिनमें चुनाव चिन्ह का आवंटन और करों में छूट जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। लेकिन नियमों के अनुसार, यदि कोई दल लगातार छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ता है, तो उसे आयोग की सूची से हटा दिया जाता है।

इसी प्रावधान के तहत, चुनाव आयोग ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) की पहचान की। इस प्रक्रिया में, 9 अगस्त 2025 को 334 RUPPs और 18 सितंबर 2025 को 474 RUPPs को सूची से हटा दिया गया। यानी पिछले दो महीनों में कुल 808 दलों को पंजीकृत दलों की सूची से बाहर कर दिया गया है।

इसके साथ ही, आयोग ने उन 359 राजनीतिक दलों की भी पहचान की है जिन्होंने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23, 2023-24) में अपने वार्षिक ऑडिटेड खाते निर्धारित समय सीमा के भीतर जमा नहीं किए हैं। इनमें से कई दलों ने चुनाव भी लड़ा, लेकिन चुनाव खर्च का ब्यौरा दाखिल करने में विफल रहे। इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए गए हैं और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को इनकी सुनवाई करने का निर्देश दिया गया है।

CEOs की रिपोर्ट के आधार पर आयोग अंतिम निर्णय लेगा कि इन दलों को सूची में रखा जाए या बाहर किया जाए। आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रणाली को स्वच्छ, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है, ताकि केवल सक्रिय और जिम्मेदार राजनीतिक दल ही पंजीकृत सूची में बने रहें। इस सख्त कार्रवाई से स्पष्ट है कि अब निष्क्रिय दलों को पंजीकरण के विशेषाधिकारों का लाभ बिना लोकतांत्रिक जिम्मेदारी निभाए नहीं मिल पाएगा।