जमशेदपुर मॉब लिंचिंग कांड पर बड़ा फैसला, पांच दोषी करार, कई बरी

जमशेदपुर: बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह में 18 मई 2017 को बच्चा चोरी की अफ़वाह में हुई चर्चित मॉब लिंचिंग कांड पर शुक्रवार को कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। इस मामले ने न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जमशेदपुर कोर्ट के न्यायाधीश बिमलेश सहाय की अदालत ने पांच आरोपियों को दोषी करार दिया है, जबकि कई अन्य को बरी कर दिया गया। दोषियों की सजा का ऐलान 8 अक्टूबर को किया जाएगा।

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दोषी और बरी आरोपी

कोर्ट ने जिन पांच लोगों को दोषी पाया है, उनके नाम हैं – राजाराम हांसदा, गोपाल हांसदा, सुनील सरदार, तारा मंडल और रंगो पूर्ति। वहीं, विभीषण सरदार, बाबू सरदार, डॉक्टर मार्डी, जगत मार्डी, डॉक्टर टुडू और सुभाष हांसदा समेत कई आरोपियों को बरी कर दिया गया। कुल मिलाकर इस लंबे मुकदमे के बाद अदालत ने साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर यह फैसला सुनाया।

 

घटना का दर्दनाक सिलसिला

यह घटना 18 मई 2017 की शाम की है, जब जुगसलाई नया बाजार निवासी गौतम वर्मा और उनके छोटे भाई विकास वर्मा नागाडीह पहुंचे थे। ग्रामीणों ने उनसे आधार कार्ड दिखाने की मांग की। विकास वर्मा के पास आधार कार्ड न होने पर विवाद बढ़ गया। इसी बीच उनकी दादी रामसखी देवी और दोस्त गंगेश गुप्ता भी मौके पर आ गए।

 

हालांकि मौके पर पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन आक्रोशित भीड़ ने कानून की परवाह किए बिना चारों को जीप से उतारकर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। उन पर ईंट-पत्थरों से हमला किया गया। इस बर्बर हमले में मौके पर ही गौतम, विकास और गंगेश की मौत हो गई, जबकि रामसखी देवी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। घटना के बाद पूरे राज्य में भारी आक्रोश और शोक की लहर दौड़ गई थी।

 

परिजनों की प्रतिक्रिया

कोर्ट के फैसले से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि चार लोगों की हत्या जैसे गंभीर मामले में केवल कुछ आरोपियों को सज़ा देकर न्याय अधूरा रह गया है। परिवार ने आरोप लगाया कि सभी दोषियों को सजा मिलनी चाहिए थी, लेकिन कई लोग छूट गए। परिजनों ने स्पष्ट किया है कि अब वे न्याय पाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

 

राज्य और देश के लिए सबक

नागाडीह मॉब लिंचिंग कांड ने समाज में अफवाहों और भीड़तंत्र की भयावहता को उजागर कर दिया था। यह घटना अफवाहों से उपजे जन आक्रोश का ऐसा उदाहरण बनी, जिसने कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े किए। अब जबकि कोर्ट ने आंशिक फैसला सुनाया है, सबकी निगाहें 8 अक्टूबर को आने वाले सज़ा निर्धारण पर टिकी होंगी।