रांची। झारखंड सरकार ने राज्य की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहीं अलका तिवारी को झारखंड का नया राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है। झारखंड कैडर की 1988 बैच की अधिकारी अलका तिवारी हाल ही में 30 सितंबर को मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। उनकी नियुक्ति झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 की धारा 66 की उपधारा (2) के अंतर्गत की गई है। सरकार के आदेश के अनुसार वे पदभार ग्रहण की तारीख से चार वर्षों तक इस संवैधानिक पद पर रहेंगी। हालांकि, यदि वे इस दौरान 65 वर्ष की आयु पूरी कर लेती हैं, तो उन्हें नियमानुसार पद छोड़ना होगा।

मुख्यमंत्री ने किया था ऐलान
अलका तिवारी को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनके विदाई समारोह के दौरान ही कर दी थी। उन्होंने मुख्य सचिव पद पर रहते हुए अपने कार्यकाल में न केवल प्रशासनिक मजबूती दिखाई, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी बेदाग ईमानदारी और कड़ी मेहनत से प्रशासन को नई दिशा देने का काम किया। यही कारण है कि उन्हें राज्य सरकार ने इतनी महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारी सौंपी है।
सेवाशर्तें और कार्यकाल
राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद की सेवा शर्तें और पदावधि राज्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2001 और उसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों द्वारा निर्धारित होंगी। इस पद पर रहते हुए वे झारखंड में चुनावी प्रक्रिया, विशेषकर पंचायत चुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव की संपूर्ण जिम्मेदारी संभालेंगी।
बहुमुखी अनुभव और राष्ट्रीय स्तर पर योगदान
अलका तिवारी का प्रशासनिक सफर बेहद समृद्ध और बहुआयामी रहा है। उन्होंने न केवल झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों और विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, बल्कि भारत सरकार में भी अहम जिम्मेदारियां निभाईं।
वे भारत सरकार के नीति आयोग में सलाहकार रह चुकी हैं।केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में सेवाएं दीं। जनजाति आयोग की सचिव के रूप में भी उन्होंने नीति निर्माण और कार्यान्वयन में अपनी दक्षता का परिचय दिया।
झारखंड में वे गुमला और लोहरदगा जिलों की उपायुक्त (डीसी) रही हैं। इसके अलावा वाणिज्यिक कर विभाग और वन एवं पर्यावरण विभाग में सचिव पद पर रहकर उन्होंने पारदर्शिता और दक्षता के साथ काम किया।
शैक्षणिक उपलब्धियां
- अलका तिवारी की शैक्षणिक यात्रा भी प्रेरणादायी रही है।
- उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर किया और टॉपर रहने पर राज्यपाल स्वर्ण पदक हासिल किया।
- इसके बाद उन्होंने मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, यूके से सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग में एमएससी की उपाधि प्राप्त की। यहां ‘विकास परियोजनाओं के प्रबंधन और कार्यान्वयन’ में शीर्ष स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक भी अर्जित किया।
वे रांची विश्वविद्यालय से कानून स्नातक (LLB) भी हैं।
इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रशासनिक समझ को गहराई देने के लिए कई अल्पकालिक पाठ्यक्रम पूरे किए। इनमें अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से ‘वित्तीय समावेशन पर पुनर्विचार’ और ड्यूक विश्वविद्यालय से ‘वित्तीय सलाहकारों के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन’ पर पाठ्यक्रम शामिल हैं।
सादगी और ईमानदारी की मिसाल
अपने चार दशकों से अधिक लंबे प्रशासनिक करियर में अलका तिवारी ने एक सादगीपूर्ण और ईमानदार अधिकारी की पहचान बनाई है। उनके कामकाज की शैली में पारदर्शिता और मानवता की झलक हमेशा दिखाई देती रही है। प्रशासनिक दक्षता, कड़ी मेहनत और बेदाग छवि ने उन्हें हमेशा लोगों और सहकर्मियों के बीच सम्मान दिलाया।
पति भी रह चुके हैं राज्य के मुख्य सचिव और राज्य चुनाव आयुक्त
अलका तिवारी के पति डॉ. डी. के. तिवारी भी झारखंड कैडर के 1986 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे हैं। वे झारखंड के मुख्य सचिव के पद पर कार्य कर चुके हैं और हाल ही में राज्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया है। इस तरह पति-पत्नी दोनों ही झारखंड प्रशासन में शीर्ष संवैधानिक पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
नई जिम्मेदारी, नई उम्मीदें
अलका तिवारी के सामने अब राज्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में एक नई चुनौती है। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी। राज्य सरकार और जनता दोनों को उम्मीद है कि अपने अनुभव और ईमानदारी के बल पर वे चुनाव आयोग की साख और मजबूत करेंगी।