घाटशिला उपचुनाव : प्रत्याशियों को लेकर झामुमो और बीजेपी में सस्पेंस, सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म

झारखंड की राजनीति में इन दिनों घाटशिला विधानसभा सीट सुर्खियों में है। मंत्री पद पर रहते हुए रामदास सोरेन के निधन के बाद से यह सीट खाली पड़ी है। उपचुनाव की तारीख का ऐलान अब कभी भी हो सकता है, लेकिन अभी तक न तो झामुमो और न ही बीजेपी ने अपने प्रत्याशी का नाम सार्वजनिक किया है। दोनों दलों का रुख बेहद सतर्क दिखाई दे रहा है।

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झामुमो की ओर से दिवंगत विधायक रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन सबसे मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सही समय पर सही फैसला लेते हैं और इस बार भी संगठन सामूहिक निर्णय लेगा। वहीं बीजेपी भी प्रत्याशी के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए है। पार्टी प्रवक्ता अजय साह ने संकेत दिया है कि बहुत जल्द योग्य उम्मीदवार के नाम पर प्रदेश स्तर पर सहमति बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा।

 

हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि झामुमो से सोमेश सोरेन तो बीजेपी से पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन प्रमुख दावेदार हैं। इसके अलावा बीजेपी के भीतर लखन माडीं और रमेश हांसदा के नाम की भी सुगबुगाहट है। दिलचस्प यह है कि दिवंगत शिबू सोरेन की बड़ी बहू और बीजेपी नेत्री सीता सोरेन की बेटी जयश्री को भी मैदान में उतारने की अटकलें तेज हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है।

 

घाटशिला उपचुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि एसटी वर्ग के लिए आरक्षित 28 सीटों में बीजेपी का ग्राफ लगातार गिरा है। कभी इन सीटों पर 14 जगहों पर कब्जा रखने वाली बीजेपी के पास फिलहाल सिर्फ सरायकेला सीट है। 2024 के विधानसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस ने मिलकर बीजेपी को करारा झटका दिया था। ऐसे में घाटशिला का उपचुनाव बीजेपी के लिए अस्तित्व की लड़ाई और झामुमो के लिए सहानुभूति वोट पाने का मौका माना जा रहा है।

 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झारखंड की राजनीति में दिवंगत नेताओं के परिजनों को प्रत्याशी बनाने का प्रयोग सफल रहा है। मधुपुर उपचुनाव में हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफिजुल हसन को जीत मिली थी, वहीं डुमरी में जगर्नाथ महतो की पत्नी बेबी देवी भी उपचुनाव में विजयी रहीं। इस बार भी यही पैटर्न दोहराए जाने की संभावना है।

 

फिलहाल, घाटशिला सीट को लेकर दोनों दलों ने अपने-अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन किसे टिकट देंगे और बीजेपी किस चेहरे पर दांव लगाएगी, इसका फैसला आने वाले दिनों में होगा। लेकिन इतना तय है कि यह उपचुनाव झारखंड की सियासत में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।