बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पूरे राज्य की निगाहें सोमवार शाम 4 बजे दिल्ली स्थित निर्वाचन आयोग मुख्यालय पर टिकी रहेंगी, जहां मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। माना जा रहा है कि इसी दौरान बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की आधिकारिक घोषणा होगी। तारीखों के ऐलान के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी।

इस बार के चुनाव को लेकर खास चर्चा यह है कि मतदान दो चरणों में कराया जा सकता है। पिछली बार, यानी 2020 में, बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुआ था, जबकि 2015 में पांच और 2010 में छह चरणों में मतदान कराया गया था। आमतौर पर बिहार में विधानसभा चुनाव लंबे चरणों में होते हैं, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं।
दरअसल, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के चलते चुनाव की तैयारियां अक्टूबर की शुरुआत तक पूरी नहीं हो सकीं। दूसरी ओर, अक्टूबर का महीना त्योहारों से भरा है। 12 अक्टूबर से दुर्गा पूजा, उसके बाद दीपावली और लोक आस्था का महापर्व छठ पड़ रहा है। ऐसे में 27-28 अक्टूबर तक मतदान कराना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। राजनीतिक दलों ने भी आयोग से आग्रह किया है कि मतदान की तारीखें छठ पूजा के बाद ही तय की जाएं।
विधानसभा का कार्यकाल भी अपने अंतिम पड़ाव पर है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार 22 नवंबर से पहले नई सरकार का गठन होना आवश्यक है। ऐसे में आयोग के पास नवंबर का ही महीना बचता है। यही वजह है कि आयोग एक साथ पूरे राज्य में चुनाव कराने के बजाय दो चरणों में मतदान कराने पर विचार कर रहा है ताकि सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सही ढंग से संभाला जा सके।
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की राय भी इस बार अलग-अलग है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) चाहती हैं कि चुनाव एक ही चरण में संपन्न हो जाए। उनका तर्क है कि इससे प्रशासनिक बोझ कम होगा और त्योहारों के बीच मतदान प्रक्रिया सरल बनेगी। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और अन्य विपक्षी दल दो चरणों में चुनाव कराने के पक्ष में हैं। विपक्ष का कहना है कि एक चरण में चुनाव कराने से स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान प्रभावित हो सकता है।
अब सभी की नजरें सोमवार शाम आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर हैं। अगर आयोग आज तारीखों का ऐलान कर देता है तो बिहार में चुनावी सरगर्मी और तेज हो जाएगी। राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने और प्रचार की रणनीति तय करने में जुट जाएंगे। साफ है कि अगले कुछ सप्ताह बिहार की राजनीति बेहद गर्म रहने वाली है और चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।