बिहार: बिहार की राजनीति में इस बार एक नया लेकिन जाना-पहचाना चेहरा प्रवेश करने जा रहा है। जन सुराज पार्टी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा को दरभंगा सदर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। प्रशासनिक सख्ती और निष्पक्ष पुलिसिंग की मिसाल बन चुके मिश्रा अब जनता के बीच अपने नेतृत्व का जनादेश मांगेंगे।

सहरसा के बनगांव से लेकर दिल्ली तक का सफर
बिहार के सहरसा जिले के बनगांव गांव से निकलकर देश के प्रमुख सुरक्षा बलों तक की जिम्मेदारी निभाने वाले राकेश मिश्रा ने पुलिस सेवा में तीन दशक से अधिक समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक मिश्रा, भारतीय पुलिस सेवा में चयन के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में अपनी कार्यकुशलता के लिए सराहे गए।
जमशेदपुर में बनाई थी सख्त अधिकारी की पहचान
1999 से 2000 के बीच उन्होंने जमशेदपुर के एसपी के रूप में कार्य किया। इस दौरान चर्चित बिल्डर हरि सावा हत्याकांड की तह तक जाकर उन्होंने कई प्रभावशाली चेहरों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया। इस कार्यवाही ने उन्हें जनता के बीच ईमानदार और निर्भीक पुलिस अधिकारी की पहचान दिलाई।
सुरक्षा बलों में शीर्ष पदों पर रहकर निभाई अहम भूमिका
मिश्रा ने आईटीबीपी, सीआईएसएफ और सीआरपीएफ जैसे अर्धसैनिक बलों में एडीजी के रूप में कार्य किया। झारखंड और त्रिपुरा जैसे संवेदनशील राज्यों में नक्सलवाद और आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर उन्होंने ठोस रणनीतियां अपनाकर स्थिति को नियंत्रण में लाया।
राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित, अब सामाजिक सेवा के बाद राजनीतिक पारी
राकेश मिश्रा को उनकी सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक सहित कई राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। सेवा निवृत्ति के बाद वे शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहे, खासकर आरके मिशन स्कूल के संचालन में उनकी अहम भूमिका रही है।
राजनीति में प्रशासनिक अनुभव कितना काम आएगा?
जन सुराज पार्टी द्वारा दरभंगा सदर से टिकट दिए जाने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मिश्रा की प्रशासनिक साख और सामाजिक योगदान उन्हें एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित कर पाएंगे। क्या जनता एक बार फिर ‘सरकारी अफसर’ को ‘जनप्रतिनिधि’ के रूप में स्वीकार करेगी?