देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को इतिहास रच दिया। उन्होंने हरियाणा के अंबाला एयरबेस से भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर न केवल एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि भारत की बेटियाँ अब आकाश की सीमाओं को पार कर नए क्षितिज लिख रही हैं।

यह उड़ान लगभग 30 मिनट की रही और इसे वायुसेना के एक वरिष्ठ पायलट द्वारा संचालित किया गया। राष्ट्रपति मुर्मू ने उड़ान के दौरान राफेल के तकनीकी और सामरिक संचालन से जुड़ी जानकारी ली और भारतीय वायुसेना के पराक्रम व समर्पण की सराहना की।
इतिहास में दूसरा मौका
यह पहला अवसर नहीं है जब राष्ट्रपति मुर्मू ने किसी लड़ाकू विमान में उड़ान भरी हो। वर्ष 2023 में उन्होंने पुणे एयरबेस से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरकर इतिहास रचा था। अब राफेल में उड़ान भरते हुए उन्होंने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होने के साथ वे देश की नारी शक्ति और साहस का जीवंत प्रतीक हैं।
‘नारी शक्ति’ और ‘आदिवासी गौरव’ की नई पहचान
राफेल की यह उड़ान सिर्फ एक औपचारिक घटना नहीं थी, बल्कि यह ‘नारी सशक्तिकरण’ और ‘आदिवासी गौरव’ का संदेश थी। राष्ट्रपति मुर्मू झारखंड की संथाल जनजाति से आती हैं, और उनकी यह उपलब्धि आदिवासी समुदाय के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा, “यह उड़ान भारत की बेटियों और आदिवासी समाज के आत्मविश्वास की उड़ान है। आज देश की महिलाएँ हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।”
महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरक कदम
भारतीय वायुसेना में हाल के वर्षों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी—फाइटर पायलट्स से लेकर तकनीकी अधिकारियों तक—देश की बदलती तस्वीर को दर्शाती है। राष्ट्रपति की यह उड़ान आने वाली पीढ़ियों की महिलाओं को भी प्रेरित करेगी कि साहस, समर्पण और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।