ईमानदारी की सजा? वाहन चेकिंग में VVIP बॉडीगार्ड की गाड़ी रोकने पर थानेदार लाइन हाजिर

रांची: राजधानी रांची में ईमानदारी से ड्यूटी निभा रहे एक थानेदार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। महज इतना ही नहीं, कानून का पालन कराना उनके लिए गुनाह बन गया। मामला वाहन चेकिंग के दौरान एक वीवीआईपी के बॉडीगार्ड की स्कूटी रोकने से जुड़ा है, जिसके कुछ ही घंटों बाद संबंधित थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया।

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घटना रविवार देर रात की है। कोतवाली थाना प्रभारी आदिकांत महतो शहीद चौक के पास नियमित वाहन चेकिंग अभियान चला रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक स्कूटी को जांच के लिए रोका। स्कूटी सवार व्यक्ति ने खुद को एक वीवीआईपी का बॉडीगार्ड बताया और वाहन रोके जाने पर आपत्ति जताई। पुलिस द्वारा दस्तावेज जांच की बात कहने पर बॉडीगार्ड भड़क गया और थानेदार से बहस करने लगा।

 

आरोप है कि बॉडीगार्ड ने थानेदार को खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि “थोड़ी देर में ट्रांसफर करवा देंगे।” इसके बाद उसने कथित तौर पर वीवीआईपी को फोन कर पूरे मामले की जानकारी दी। कुछ ही समय में माहौल और तनावपूर्ण हो गया।

 

सूचना मिलने पर रांची के एसपी स्वयं मौके पर पहुंचे और बॉडीगार्ड से बातचीत की। हालांकि, बातचीत के दौरान भी बॉडीगार्ड के तेवर नरम नहीं पड़े। सूत्रों के अनुसार, स्थिति को संभालने के बजाय दबाव में आकर अधिकारियों ने देर रात ही कोतवाली थाना प्रभारी आदिकांत महतो को लाइन हाजिर करने का आदेश दे दिया।

 

बाद में यह भी खुलासा हुआ कि जिस वीवीआईपी के बॉडीगार्ड की स्कूटी रोकी गई थी, वह कोई और नहीं बल्कि हाईकोर्ट के एक माई लॉर्ड के सुरक्षा कर्मी थे। इसी के बाद पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया।

 

इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस महकमे और आम लोगों के बीच कई सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल यह है कि क्या कानून सभी के लिए समान नहीं है? क्या ईमानदारी से ड्यूटी निभाने वाले अधिकारियों को इसी तरह सजा दी जाएगी? वहीं, इस फैसले से पुलिसकर्मियों के मनोबल पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

 

फिलहाल मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग निष्पक्ष जांच व उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।