आउटसोर्स कर्मियों को राहत: रांची हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, नियमित कर्मचारियों के समान मिलेगा न्यूनतम वेतन

रांची: झारखंड में कार्यरत हजारों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। रांची हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सरकार को निर्देश दिया है कि आउटसोर्स कर्मियों को भी नियमित कर्मचारियों के समान न्यूनतम वेतन दिया जाए। जस्टिस दीपक रोशन की एकल पीठ ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह आगामी आठ सप्ताह के भीतर इस फैसले को लागू करे।

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यह मामला बिमल कुमार ठाकुर द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को बहुत ही कम वेतन पर काम करने को मजबूर किया जा रहा है, जबकि वे सरकारी कार्यालयों में नियमित कर्मचारियों के बराबर कार्य कर रहे हैं।हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “समान कार्य के लिए समान वेतन देना संविधानिक अधिकार है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आउटसोर्सिंग के नाम पर कर्मचारियों के साथ शोषण न हो।”

फैसले की मुख्य बातें:

  • आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को अब नियमित कर्मियों के बराबर न्यूनतम वेतन मिलेगा।
  • राज्य सरकार को 8 सप्ताह में आदेश लागू करने का निर्देश।
  • अदालत ने कहा: “समान काम के लिए समान वेतन न देना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
  • यह फैसला राज्य के हजारों संविदा व आउटसोर्स कर्मियों को मिलेगा सीधा लाभ।

इस फैसले के बाद राज्य भर के आउटसोर्सिंग कर्मचारी वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई है। कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय को न्याय की जीत बताया है और सरकार से शीघ्र पालन की मांग की है।

प्रतिक्रिया:

याचिकाकर्ता बिमल कुमार ठाकुर ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह केवल मेरा नहीं, राज्य के लाखों शोषित कर्मचारियों का न्याय है। हमें अब बराबरी का हक मिला है।” यह फैसला न केवल झारखंड बल्कि देशभर में आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक नई मिसाल बन सकता है। अब नजरें सरकार की ओर हैं कि वह इस आदेश को कैसे और कितनी तत्परता से लागू करती है।