लोहरदगा: झारखंड के लोहरदगा जिले के एक दिव्यांग किसान की कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर भावनाओं का सैलाब ला रही है। किरको प्रखंड निवासी लीला उरांव ने जब खेत जोतने के लिए अपने बेटों को बैलों की जगह हल में जोत दिया, तो यह दृश्य सिर्फ उनकी मजबूरी नहीं, बल्कि एक झकझोर देने वाली तस्वीर बनकर देशभर में वायरल हो गया।

वर्ष 2024 में आई प्राकृतिक आपदा ने लीला उरांव की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। आसमान से गिरे वज्रपात ने उनके बैलों की जान ले ली और लगातार असमय बारिश ने उनकी फसल भी तबाह कर दी। पहले से ही दिव्यांग लीला उरांव के लिए यह दोहरी मार थी। आर्थिक तंगी के कारण वे न तो नए बैल खरीद सके और न ही किसी से ट्रैक्टर किराए पर लेने की हैसियत थी। जब सारे रास्ते बंद हो गए, तब उन्होंने एक कठोर फैसला लिया — अपने ही बेटों को बैल की जगह हल में जोतकर खेत की जुताई करवाई।
इस मार्मिक तस्वीर को एक पत्रकार ने ट्विटर पर साझा किया, जिसके बाद यह पोस्ट आग की तरह फैल गई। लोगों की प्रतिक्रियाओं में एक तरफ जहां दुख और आक्रोश था, वहीं दूसरी तरफ इस किसान परिवार के संघर्ष ने लोगों को प्रेरित भी किया। इस पूरे घटनाक्रम पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया और लोहरदगा के उपायुक्त को जांच कर तत्काल सहायता पहुंचाने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “कृपया उक्त मामले की जांच कर, किरको प्रखंड के किसान लीला उरांव जी को हरसंभव सरकारी योजनाओं से जोड़ते हुए सहायता प्रदान की जाए और इसकी सूचना दी जाए।”
लीला उरांव का कहना है कि उन्होंने मदद के लिए कई दरवाजे खटखटाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो अपने बेटों को हल में जोतना पड़ा। यह कदम उन्होंने अपने परिवार की भूख मिटाने और अगली फसल की उम्मीद के लिए उठाया।
यह घटना न सिर्फ सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जरूरतमंदों तक योजनाएं और राहत कितनी धीमी गति से पहुंचती हैं। अब जब मामला सामने आया है, उम्मीद है कि लीला उरांव जैसे हजारों किसानों को समय रहते सरकारी सहायता मिलेगी, ताकि वे फिर कभी ऐसे कदम उठाने को मजबूर न हों।