माँ की आख़िरी ख्वाहिश थी आग–और फिर मिट्टी! जमशेदपुर में हुआ अनूठा अंतिम संस्कार

जमशेदपुर, सोनारी: जमशेदपुर की एंग्लो-इंडियन महिला पेट्रिसिया मेजोरी सैंडिस (83) का अंतिम संस्कार उनकी विशेष अंतिम इच्छा के अनुरूप बुधवार को पूरे सम्मान के साथ किया गया, जो अपने आप में एक मिसाल बन गया।

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पेट्रिसिया सैंडिस ने अपने जीवनकाल में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर का पहले दाह संस्कार किया जाए और फिर उनकी अस्थियों को उनके माता-पिता और बहन की कब्र के पास दफना दिया जाए। यह उनकी बहन डोरीन हर्न की भी अंतिम इच्छा रही थी, जिन्हें कनाडा में अग्नि को समर्पित किया गया था और बाद में अस्थियाँ जमशेदपुर लाकर बेल्डीह कब्रिस्तान में माता-पिता की कब्र के पास दफनाई गई थीं।

 

बुधवार को पेट्रिसिया सैंडिस की अंतिम यात्रा की शुरुआत सेंट जॉर्ज चर्च, बिष्टुपुर से हुई, जहां अंतिम प्रार्थना अर्पित की गई। इसके बाद उन्हें सुवर्णरेखा बर्निंग घाट में अग्नि को समर्पित किया गया। संस्कार के पश्चात उनकी अस्थियों को शाम को बेल्डीह कब्रिस्तान में दफनाया गया।

 

इस दौरान फादर विजय नाग ने बाइबिल का पाठ किया और अंतिम विधि को ईसाई परंपराओं के साथ संपन्न किया गया। इस मौके पर परिजन, रिश्तेदार और शहर के कई प्रमुख लोग शामिल हुए, जिनमें जेम्स दयाल, कॉलिन, सुजीत मिश्रा, डिन डिसूजा, नेवल मैथ्यूज, रॉनी डीकोस्टा, हिलेरी डिसूजा, अभिजीत बलमुचू, यूस्टेज नीड, सैंड्रा, अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह और मानवाधिकार कार्यकर्ता पीके दास प्रमुख थे।

 

पेट्रिसिया मेजोरी का जन्म जमशेदपुर में हुआ था। उन्होंने कॉन्वेंट से शिक्षा प्राप्त की, यहीं पली-बढ़ीं और फिर एंग्लो-इंडियन एआरसी सैंडिस से विवाह किया। टाटा स्टील और एचसीएल में नौकरी कर चुकीं पेट्रिसिया सैंडिस शहर की संस्कृति से गहरे जुड़ी थीं।

 

उनके पुत्र पॉल सैंडिस और इयन सैंडिस (जो कोलकाता से आए) ने बताया कि माँ की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करना उनके लिए एक सम्मान की बात थी। उनकी बेटी ग्लैंडा सैंडिस, जो दिल्ली की एक पब्लिशिंग हाउस में कार्यरत हैं, भी इस भावुक क्षण में परिवार के साथ रहीं।

 

बर्निंग घाट कमेटी के गणेश राव ने भी इस पूरी प्रक्रिया में विशेष सहयोग किया। कहानी में भावनाएँ भी थीं, परंपरा भी और एक अद्भुत अंतिम सम्मान की मिसाल भी। पेट्रिसिया सैंडिस की यह आखिरी यात्रा, एक सदी के अनुभवों की परछाईं बन गई।