सर्पदंश से दो वर्षीय मासूम की दर्दनाक मौत, इलाज के अभाव में दम तोड़ता रहा बच्चा

कोडरमा जिला के सतगावां थाना क्षेत्र स्थित नासरगंज गांव में गुरुवार देर रात एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जहां एक दो वर्षीय मासूम की जान सर्पदंश की चपेट में आने से चली गई। मृतक की पहचान मिथुन कुमार के इकलौते बेटे मानविक कुमार के रूप में हुई है। इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार की खुशियाँ छीन लीं, बल्कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी उजागर कर दिया।

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सोते वक्त सांप ने डंसा, परिजन भागे अस्पताल-दर-अस्पताल

परिजनों के अनुसार, मानविक अपने माता-पिता के साथ कमरे में सो रहा था, जब अचानक एक जहरीला सांप कमरे में घुस आया और बच्चे को डंस लिया। कुछ ही देर में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, जिसे देख परिवार घबरा गया।

सबसे पहले उसे पास के सतगावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ डॉक्टर ने एंटी वेनम इंजेक्शन तो देने की कोशिश की, पर नस नहीं मिलने के कारण इलाज अधूरा रह गया। डॉक्टरों ने परिजनों को इंजेक्शन के साथ किसी बेहतर अस्पताल ले जाने की सलाह दी।

तीन अस्पताल, एक आशा — फिर भी नहीं बच सका जीवन

  • निजी अस्पताल: पास के एक निजी अस्पताल में इंजेक्शन तो लगा, लेकिन हालत गंभीर बताकर तुरंत सदर अस्पताल कोडरमा रेफर किया गया।
  • सदर अस्पताल: यहाँ डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया, पर परिजन हार मानने को तैयार नहीं थे।
  • खिजरी, गिरिडीह: उन्हें सर्पदंश विशेषज्ञ की जानकारी मिली, लेकिन वहाँ बताया गया कि बच्चों का इलाज नहीं होता।
  • देवघर एम्स: अंतिम उम्मीद के तौर पर देवघर एम्स पहुंचे पर वहाँ भी डॉक्टरों ने पुष्टि की कि मौत काफी पहले हो चुकी थी।

सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था

इस हादसे ने जिले की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं, बाल चिकित्सा संसाधनों और विष उपचार व्यवस्था की पोल खोल दी है। परिजन का कहना है कि यदि समय पर सही इलाज मिल जाता, तो शायद उनका बच्चा आज जिंदा होता।

स्थानीय लोगों की मांग: बेहतर सुविधा और जवाबदेही

घटना से गांव में शोक का माहौल है। ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि:

  • प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित डॉक्टर और बच्चों के लिए विषरोधी उपचार की व्यवस्था हो।
  • सर्पदंश जैसे आपात मामलों में जिला स्तर पर 24×7 विष नियंत्रण यूनिट स्थापित किया जाए।
  • जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारियों से जवाबदेही तय की जाए।

मासूम मानविक की मौत, केवल एक बच्चा नहीं खोया — एक परिवार की दुनिया उजड़ गई

बच्चे के शव के साथ लौटते परिजनों की आँखों में गुस्से से अधिक बेबसी थी। एक मासूम की मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक ग्रामीण भारत स्वास्थ्य की मूलभूत जरूरतों से वंचित रहेगा?