झारखंड में केवल 2.31% आबादी के पास पासपोर्ट, विदेश यात्रा को लेकर कम है उत्साह

रांची: झारखंड के लोग पासपोर्ट बनवाने और विदेश यात्रा को लेकर अपेक्षाकृत कम रुचि दिखा रहे हैं। हाल ही में विदेश मंत्रालय के MEA परफॉर्मेंस स्मार्ट बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड की महज 2.31% आबादी के पास ही पासपोर्ट है। यह आंकड़ा न केवल राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है, बल्कि झारखंड को देश में नीचे से चौथे स्थान पर ला खड़ा करता है।

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वहीं, झारखंड से सटा राज्य बिहार भी इस मामले में बहुत आगे नहीं है, लेकिन उसका आंकड़ा 2.51% है, जो झारखंड से थोड़ा बेहतर जरूर है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सिर्फ 8.71% आबादी के पास ही सक्रिय पासपोर्ट है। यानी, हर 100 भारतीयों में केवल 8 से 9 लोग ही विदेश यात्रा या पासपोर्ट की दिशा में आगे बढ़ते हैं।

नीचे से चौथे स्थान पर झारखंड

रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड से भी पीछे जिन राज्यों की स्थिति और कमजोर है, उनमें छत्तीसगढ़ (1.54%), मध्यप्रदेश (2.21%) और मेघालय (2.22%) शामिल हैं। यह स्थिति झारखंड जैसे खनिज संपन्न और तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहे राज्य के लिए चिंता का विषय है।

गोवा, केरल और पंजाब टॉप पर

वहीं दूसरी ओर, कुछ राज्य इस मामले में बहुत आगे हैं। केरल में 35.3%, गोवा में 31.3%, और पंजाब में 28.8% लोगों के पास पासपोर्ट है। इन राज्यों में बड़ी संख्या में लोग विदेशों में रोजगार, शिक्षा और पर्यटन के उद्देश्य से जाते हैं। खासकर केरल और पंजाब में प्रवासी भारतीयों की संख्या काफी अधिक है।

संभावित कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में पासपोर्ट धारकों की कम संख्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • जागरूकता की कमी
  • आर्थिक सीमाएं
  • विदेश यात्रा की संस्कृति का अभाव
  • उचित मार्गदर्शन और सुविधा केंद्रों की कमी

इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अधिकांश लोग पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं या इसे अनावश्यक समझते हैं।

क्या कहती है सरकार?

विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार और क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि झारखंड में पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या सीमित है और लोगों को लंबी दूरी तय कर रांची या जमशेदपुर जैसे शहरों में आना पड़ता है।