झारखंड की राजनीति के सबसे कद्दावर नेता और झारखंड आंदोलन के पुरोधा दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हो गया है। उन्होंने सोमवार सुबह 8:56 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रहे शिबू सोरेन को किडनी में संक्रमण और ब्रोंकाइटिस की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

गंगाराम अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए.के. भल्ला ने बताया, “यह बताते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि शिबू सोरेन जी को लंबी बीमारी के बाद आज सुबह मृत घोषित किया गया।”
उनकी तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी और विधायक कल्पना सोरेन, और छोटे बेटे बसंत सोरेन दिल्ली पहुंच गए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी अस्पताल पहुंचकर उनका हालचाल लिया था।
आंदोलन से मुख्यमंत्री तक का सफर
1944 में रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक रहे और झारखंड अलग राज्य आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक बने।
राज्य बनने के बाद वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और सात बार लोकसभा सांसद चुने गए। 2004 में वे केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रहे। मौजूदा समय में वे जेएमएम के संरक्षक थे।
राजनीतिक विरासत
उनके बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, जबकि बहू कल्पना सोरेन और छोटे बेटे बसंत सोरेन भी विधायक हैं। उनके दिवंगत बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन वर्तमान में भाजपा की नेत्री हैं।
राज्यभर में शोक की लहर
शिबू सोरेन के निधन की खबर से पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक उन्हें श्रद्धांजलि देने में जुटी है। राज्य सरकार की ओर से शोक अवधि की घोषणा की जा सकती है और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है।