जमशेदपुर: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ आज शनिवार से पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरू हो गया। इस पावन पर्व की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है, जिसे सूर्य उपासना और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। आज के दिन श्रद्धालु स्नान कर नेम-निष्ठा के साथ प्रसाद स्वरूप चना दाल, कद्दू की सब्जी और भात बनाते हैं। पहले व्रती (छठ व्रत करने वाली महिला) स्वयं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं, इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य इसका सेवन करते हैं।

नहाय-खाय के बाद से ही छठ व्रत का कठोर नियम प्रारंभ हो जाता है। व्रती अब जमीन पर पटिया या दरी बिछाकर सोती हैं और सात्विक जीवन का पालन करती हैं। रविवार, 26 अक्टूबर को खरना का आयोजन होगा। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को अरवा चावल, गुड़ और गाय के दूध से बनी खीर का प्रसाद बनाती हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत की मुख्य अवधि आरंभ होती है। सोमवार, 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा और मंगलवार, 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन होगा।
इस दौरान बाजारों में छठ से जुड़ी सामग्रियों की खरीदारी जोर-शोर से चल रही है। विशेष रूप से कद्दू (लोकी) की मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली है। नहाय-खाय के दिन कद्दू का विशेष महत्व होने के कारण इसकी कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। तीन दिन पहले तक जो कद्दू 20 से 30 रुपये प्रति पीस में बिक रहा था, वह अब 80 से 120 रुपये तक पहुंच गया है। शहर के सब्जी बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी, वहीं लोगों ने दाम बढ़ने की शिकायत भी की, लेकिन धार्मिक परंपरा के कारण हर कोई इसे खरीदने को मजबूर दिखा।
पंडितों के अनुसार, कद्दू को सात्विक और पवित्र सब्जी माना गया है। इसका सेवन शरीर और मन की शुद्धि के लिए उपयोगी है। कद्दू में पानी और फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है, जो व्रती के शरीर को ऊर्जा देती है और पाचन को दुरुस्त रखती है। पुरोहितों का कहना है कि नहाय-खाय का यह भोजन शरीर को शुद्ध करता है और आने वाले निर्जला व्रत के लिए ताकत प्रदान करता है।
जमशेदपुर सहित पूरे कोल्हान क्षेत्र में आज सुबह से ही श्रद्धालु महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। नदियों, तालाबों और घाटों की सफाई की जा रही है ताकि अगले दो दिनों में खरना और अर्घ्य के कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सकें। श्रद्धा, अनुशासन और पवित्रता का यह पर्व अब पूरे उल्लास के साथ अपने चरम की ओर बढ़ रहा है।