जमशेदपुर: टाटानगर रेलवे स्टेशन पर पार्किंग शुल्क वसूली को लेकर शनिवार देर रात एक बड़ा विवाद सामने आया, जब शहर के डीएसपी भोला प्रसाद से पार्किंग ठेकेदार के कर्मचारियों की तेज़ नोकझोंक और फिर मारपीट तक की नौबत आ गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि डीएसपी ने स्वयं पुलिस बल बुलाकर पार्किंग कर्मियों को खदेड़ा और पिटाई की। शनिवार की देर रात डीएसपी भोला प्रसाद स्टेशन परिसर पहुंचे। वह अपनी सफेद स्कॉर्पियो से मुख्य गेट से भीतर जा रहे थे, तभी पार्किंग क्षेत्र में मौजूद कुछ बिना यूनिफॉर्म वाले कर्मियों ने उन्हें रोकते हुए पर्ची कटाने की मांग की। डीएसपी ने पहले तो उन्हें अपना परिचय दिया, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।

इसके बाद डीएसपी वाहन लेकर ड्रॉपिंग एरिया तक पहुंचे। वहां भी विवाद बढ़ गया, क्योंकि कर्मियों ने दोबारा रसीद दिखाने और शुल्क देने की जिद की। जब डीएसपी की स्कॉर्पियो आउट गेट से बाहर निकलने लगी, तो फिर एक कर्मी ने उन्हें रोक लिया और रसीद मागने लगे।
डीएसपी का गुस्सा फूटा
पार्किंग कर्मियों के लगातार बदसलूकी और अनदेखी से नाराज़ डीएसपी ने अपनी गाड़ी वहीं रोक दी और पार्किंग मैनेजर और ठेकेदार को बुलाने की मांग की। साथ ही उन्होंने आसपास की पुलिस टीम को फोन कर मौके पर बुला लिया। इसके बाद मौके पर पहुंचे जवानों ने चार से पांच पार्किंग कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। स्थानीय चश्मदीदों के अनुसार, पार्किंग क्षेत्र में करीब आधा घंटा तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। पार्किंग कर्मचारी इधर-उधर भागते देखे गए और रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के बीच भी खलबली मच गई।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद जीआरपी और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया है। जीआरपी ने पार्किंग ठेकेदार को निर्देश दिया है कि वह सभी कर्मियों की आधार और फोटो सहित पहचान की जानकारी तुरंत उपलब्ध कराए। साथ ही स्पष्ट आदेश दिया गया है कि अब सभी कर्मी ड्यूटी के दौरान यूनिफॉर्म और कंपनी आईडी कार्ड के साथ ही इन व आउट गेट पर तैनात रहेंगे।
डीएसपी ने टिप्पणी से किया इनकार
इस पूरी घटना पर डीएसपी भोला प्रसाद ने कोई बयान देने से इनकार किया, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, उन्होंने उच्चाधिकारियों को घटना की पूरी जानकारी दी है। साथ ही यह भी संभावना है कि पार्किंग ठेकेदार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की जा सकती है।
पार्किंग व्यवस्था पर उठे सवाल
यह घटना टाटानगर रेलवे स्टेशन पर पार्किंग ठेकेदारों की मनमानी और प्रशासनिक निगरानी की कमी को उजागर करती है। अक्सर यात्रियों को मनमानी शुल्क, बदसलूकी और असंगठित कर्मचारियों से परेशानी होती है। यह घटना प्रशासन के लिए पुनः मूल्यांकन का विषय बन गई है।