झारखंड में इन दिनों शीतलहर ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में तापमान सामान्य से कई डिग्री नीचे चला गया है, जिससे कनकनी वाली ठंड ने आम जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। सुबह और शाम के समय ठंड का असर इतना तीव्र हो गया है कि लोग घरों से निकलने में भी परहेज कर रहे हैं। सड़कों पर आवाजाही कम देखी जा रही है और बाजारों में भी रौनक घट गई है।

इस भीषण ठंड का सबसे अधिक असर स्कूली छात्र-छात्राओं पर देखने को मिल रहा है। सुबह करीब सात बजे कड़ाके की ठंड में छोटे-छोटे बच्चे स्कूल बस पकड़ने के लिए घरों से निकलने को मजबूर हैं। ठंडी हवा और घने कोहरे के बीच बच्चों का स्कूल जाना अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गया है। दोपहर करीब तीन बजे छुट्टी के समय भी ठंड का असर बना रहता है, जिससे बच्चों को घर लौटते समय भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अभिभावकों का कहना है कि इतनी कम उम्र में बच्चों को ठंड में बाहर निकलना उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। सर्दी, खांसी, बुखार और वायरल संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। कई अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे ठंड की वजह से पहले ही बीमार पड़ चुके हैं। वहीं, स्कूलों में गर्म कपड़ों के बावजूद बच्चे ठिठुरते नजर आ रहे हैं।
राज्य के कई हिस्सों में रैन बसेरों और सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गई है, लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। खासकर ग्रामीण इलाकों और निम्न आय वर्ग के लोगों को ठंड से बचाव में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले कुछ दिनों तक ठंड से राहत मिलने की संभावना कम है और न्यूनतम तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है।
इस स्थिति को देखते हुए अभिभावकों और सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से स्कूलों के समय में बदलाव या अस्थायी रूप से अवकाश घोषित करने की मांग की है। उनका कहना है कि बच्चों की सेहत सर्वोपरि है और कड़ाके की ठंड में उन्हें स्कूल भेजना उचित नहीं है। अब देखना यह है कि सरकार और शिक्षा विभाग इस गंभीर समस्या को लेकर क्या कदम उठाते हैं।