Cyclone Montha का कहर: झारखंड समेत पूर्वी भारत में भारी बारिश और बाढ़ का खतरा, प्रशासन अलर्ट पर

बंगाल की खाड़ी में बन रहा चक्रवात ‘मोन्या’ (Montha) अब तेजी से भीषण रूप ले चुका है और इसका असर झारखंड समेत पूर्वी भारत के कई राज्यों में देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, यह चक्रवाती तूफान फिलहाल आंध्र प्रदेश और ओडिशा की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसका असर झारखंड तक महसूस किया जाएगा। राज्य के कई जिलों में 30 और 31 अक्टूबर को भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।

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रांची मौसम केंद्र के अनुसार, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और गुमला में मंगलवार को तेज बारिश की संभावना है। वहीं, चतरा, गढ़वा, लातेहार और पलामू में बुधवार को बहुत भारी वर्षा हो सकती है। इसके अलावा, गिरिडीह, कोडरमा, लोहरदगा, बोकаро, रामगढ़, हजारीबाग, रांची, दुमका, गोड्डा, पाकुड़ और साहेबगंज में भी दो दिनों तक पानी की बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।

 

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने सभी जिलाधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को निचले इलाकों में जलभराव और संभावित नुकसान को कम करने के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए। मौसम केंद्र ने चेतावनी दी है कि 30 अक्टूबर की बारिश सबसे तीव्र होगी, जिससे कई जगहों पर सड़कों पर पानी भर सकता है और यातायात प्रभावित हो सकता है।

 

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय झारखंड के किसानों के लिए यह बारिश नुकसानदेह साबित हो सकती है। खेतों में खड़ी धान की फसल और सब्जियां जलभराव से नष्ट हो सकती हैं। ग्रामीण इलाकों में जल निकासी की कमजोर व्यवस्था स्थिति को और गंभीर बना सकती है। राज्य सरकार ने बाढ़ नियंत्रण दलों को अलर्ट पर रखा है और नदियों के जलस्तर पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

 

दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा इस तूफान की सीधी चपेट में हैं। आईएमडी के मुताबिक, मंगलवार शाम या रात तक यह तूफान मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच तट को पार करेगा। हवाओं की रफ्तार 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है। आंध्र प्रदेश के चित्तूर, तिरुपति और काकीनाडा में पहले से ही तेज बारिश हो चुकी है, जिससे सड़कों पर जलभराव और यातायात ठप हो गया है।

 

ओडिशा में भी स्थिति गंभीर होती जा रही है। राज्य सरकार ने 1,445 राहत शिविर खोले हैं और 140 बचाव दलों को तैनात किया है। गजपति और कोरापुट जिलों में भूस्खलन की आशंका के चलते 32,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावित राज्यों को केंद्र की ओर से हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया है।

 

पूर्वी भारत के अन्य राज्यों — पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ — में भी 28 से 31 अक्टूबर तक भारी बारिश की संभावना जताई गई है। पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, दक्षिण 24 परगना और मेदिनीपुर में 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।

 

चक्रवात के चलते परिवहन व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। विशाखापत्तनम से कई उड़ानें रद्द की गई हैं और ओडिशा में 32 ट्रेनें रोक दी गई हैं। दोनों राज्यों में स्कूल-कॉलेजों को 31 अक्टूबर तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया है।

 

झारखंड में छठ पूजा को देखते हुए प्रशासन विशेष सतर्कता बरत रहा है। श्रद्धालुओं को नदी घाटों के पास जाने से बचने की सलाह दी जा रही है। आईएमडी ने कहा है कि यह तूफान अगले 48 घंटे तक सक्रिय रहेगा, इसलिए लोगों को घरों में सुरक्षित रहने, बिजली के उपकरणों से दूर रहने और खुले स्थानों पर न जाने की अपील की गई है।

 

थाई भाषा में “मोन्या” का अर्थ होता है ‘सुगंधित फूल’, लेकिन यह तूफान अपने साथ विनाश की तेज हवाएं और भारी बारिश लेकर आया है। विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, जो पूर्वी भारत के लिए दीर्घकालिक चुनौती है। इसलिए, सरकार को तटीय सुरक्षा, आपदा पूर्वानुमान और जल निकासी व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में होने वाले प्राकृतिक संकटों से जन-धन की हानि को कम किया जा सके।