जमशेदपुर: झारखंड की राजनीति में एक बार फिर दिलचस्प मुकाबले की आहट सुनाई दे रही है। घाटशिला विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने उम्मीदवार के रूप में बाबूलाल सोरेन का नाम घोषित कर दिया है। पार्टी की ओर से यह घोषणा आधिकारिक रूप से की गई है। खास बात यह है कि बाबूलाल सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र हैं।

भाजपा की इस घोषणा के साथ ही घाटशिला सीट पर मुकाबला रोमांचक हो गया है। दरअसल, बाबूलाल सोरेन पहले भी इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार रामदास सोरेन ने 98,356 वोट पाकर जीत हासिल की थी, जबकि बाबूलाल सोरेन को 75,910 वोट मिले थे। अब भाजपा ने एक बार फिर बाबूलाल पर भरोसा जताकर संकेत दे दिया है कि पार्टी पिछली हार का बदला लेने के मूड में है।
घाटशिला विधानसभा सीट संथाल परगना और सिंहभूम की सीमा पर स्थित एक राजनीतिक रूप से अहम इलाका है। यहां आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा द्वारा बाबूलाल सोरेन को टिकट दिए जाने से पार्टी ने साफ संदेश दिया है कि वह आदिवासी समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
वहीं, दूसरी ओर झामुमो के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है, क्योंकि यह क्षेत्र लंबे समय से पार्टी का गढ़ माना जाता है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपने नए समीकरणों और रणनीति के दम पर इस बार घाटशिला की जमीं पर जीत दर्ज कर पाएगी, या फिर झामुमो अपनी पकड़ बरकरार रखेगा।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस उपचुनाव का असर राज्य की सत्ता समीकरणों पर भी पड़ेगा, क्योंकि घाटशिला की जीत या हार से झारखंड की राजनीतिक दिशा और विपक्ष की रणनीति दोनों प्रभावित हो सकती हैं। आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार के साथ इस सीट पर सियासी तापमान और भी बढ़ने की उम्मीद है।