
कैसे हुई वड़ा पाव की शुरुआत
रेलवे स्टेशन पर शुरू किया वड़ा बेचना
इस अपील से प्रेरित होकर अशोक वैद्य ने दादर रेलवे स्टेशन के बाहर बटाटा वड़ा यानी आलू वड़ा बेचना शुरू किया। कई समय तक बटाटा वड़ा बेचकर अपनी जीविका चला रहे अशोक को अचानक एक दिन एक प्रयोग करने की सूझी। उनके इस विचार ने ही वड़ा पाव को जन्म दिया। इस प्रयोग को करने के लिए अशोक ने अपने पास की एक दुकान से कुछ पाव खरीदे और उन्हें चाकू की मदद से बीच काट दिया। इसके बाद उन्होंने पाव के दोनों हिस्सों पर लाल मिर्च-लहसुन की सूखी-तीखी चटनी और हरी मिर्च लगाई और बीच में वड़ा रखकर लोगों को खिलाना शुरू किया।
एक प्रयोग से हुआ वड़ा पाव का आविष्कार
अशोक का यह प्रयोग लोगों को काफी पसंद आया और देखते ही देखते दादर रेलवे स्टेशन ने निकला वड़ा पाव पूरे राज्य और फिर पूरे देश में मशहूर हो गया। वड़ा पाव की लोकप्रियता को देखते हुए कुछ साल बाद कई अन्य लोगों ने भी इसे बेचना शुरू कर दिया। वहीं, साल 1998 में अशोक वैद्य के निधन के बाद उनके बेटे नरेंद्र ने उनकी इस विरासत को संभाला और वड़ा पाव को देश में हर व्यक्ति तक पहुंचाया। वड़ा पाव की लोकप्रियता को देखते हुए 90 के दशक में मशहूर ब्रांड मैक्डॉनल्ड्स ने अपने बर्गर से वड़ा पाव को टक्कर देने की कोशिश की, लेकिन उस समय मुंबई के लोगों ने बर्गर को सिरे से नकार दिया।