यमुना पुल पर मरम्मत के चलते लगाए गए प्रतिबंधों ने शनिवार को एक बार फिर सरकारी सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। जहां एक ओर भाजपा विधायक की गाड़ी बेरोकटोक पुल पार कर गई, वहीं दूसरी ओर एक मजदूर को अपनी मां का शव लेकर एंबुलेंस से उतरकर 1 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।

मामला एनएच-34 (कानपुर-सागर हाईवे) पर स्थित यमुना पुल का है। पुल पर मरम्मत कार्य के चलते भारी और हल्के वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन जब एक स्थानीय भाजपा विधायक की गाड़ी मौके पर पहुंची, तो उसे पुलिस ने बिना रोक-टोक पुल से गुजरने दिया। वहीं, एक मजदूर की मां के शव को ले जा रही एंबुलेंस को पुल पर रोक दिया गया।
मृतका के बेटे ने पुलिसकर्मियों से कई बार हाथ जोड़कर विनती की कि एंबुलेंस को सिर्फ एक बार पार करने दिया जाए, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। मजबूरी में बेटे ने स्ट्रेचर पर शव को रखा और एंबुलेंस ड्राइवर तथा एक स्वास्थ्यकर्मी की मदद से लगभग 1 किलोमीटर पैदल पुल पार किया। इस हृदयविदारक दृश्य का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक तरफ विधायक की गाड़ी आराम से निकलती दिख रही है और दूसरी ओर एक गरीब मजदूर अपने कंधों पर मां की लाश के साथ सिस्टम की बेरुखी का बोझ ढोता नजर आ रहा है।
घटना ने स्थानीय जनता के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। सवाल यह उठ रहे हैं कि जब प्रशासन वीआईपी वाहनों को बिना रोक-टोक जाने देता है, तो एक एंबुलेंस को, जो मानवीय आपात स्थिति में थी, क्यों रोका गया? फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है, लेकिन सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर इस अमानवीय व्यवहार की तीखी निंदा की जा रही है।