मुजफ्फरपुर के मीनापुर में गांधीजी के सिर पर भाजपा टोपी, गले में पट्टा और हाथ में झंडा, RJD ने गंगा जल से किया ‘शुद्ध’

बिहार की राजनीति में रविवार को एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे राज्य में बवाल खड़ा कर दिया। मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का झंडा, पार्टी की टोपी और पट्टा पहनाए जाने से विवाद गहराता जा रहा है। यह वाकया उस समय हुआ जब मीनापुर में भाजपा द्वारा एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने गांधीजी की प्रतिमा को पार्टी के प्रतीकों से सजा दिया। उन्होंने प्रतिमा के माथे पर भाजपा की टोपी रखी, गले में पट्टा डाला और हाथ में पार्टी का झंडा थमा दिया।

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यह तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर आते ही आग की तरह फैल गईं और विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया। सबसे तेज हमला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बोला। राजद विधायक मुन्ना यादव ने इस घटना को “राष्ट्रपिता का अपमान” बताते हुए कहा कि भाजपा सत्ता के लालच में इतनी गिर चुकी है कि अब महापुरुषों को भी अपने राजनीतिक प्रतीकों से ढकने लगी है।

 

मुन्ना यादव ने बताया कि जब उन्हें इसकी सूचना मिली, वे कांटी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सभा में मौजूद थे। सूचना मिलते ही वे तुरंत मीनापुर पहुंचे। वहां की स्थिति देखकर वे नाराज और शर्मिंदा हुए। इसके बाद उन्होंने गांधी प्रतिमा पर चढ़ाए गए भाजपा के प्रतीक हटवाए, गंगाजल से शुद्धिकरण किया और पूजा-अर्चना के बाद प्रतिमा पर तिरंगा झंडा फहराया।

 

राजद ने भाजपा पर लगातार समाज को बांटने और देश के महापुरुषों का अपमान करने का आरोप लगाया। मुन्ना यादव ने कहा, “यह पहली बार नहीं है। पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का अपमान किया गया था और अब गांधीजी की प्रतिमा को भाजपा की टोपी और झंडे से ढक दिया गया। यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।”

 

विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए इतिहास और विरासत के साथ छेड़छाड़ कर रही है। उनका आरोप है कि भाजपा की नजर सिर्फ सत्ता पर है और इसके लिए वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक का अपमान करने से नहीं हिचकिचा रही।

 

मुन्ना यादव ने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि मीनापुर शहीदों की धरती है और यहां महापुरुषों का अपमान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले चुनावों में जनता भाजपा को उसकी औकात दिखाएगी और इस अपमान का बदला लेगी।

 

इस विवाद ने बिहार की राजनीति में एक नया सियासी मुद्दा खड़ा कर दिया है। अब देखना यह है कि भाजपा इस मामले पर क्या सफाई देती है और विपक्ष इसे चुनावी हथियार किस तरह इस्तेमाल करता है।