जमशेदपुर: लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर पूरे जमशेदपुर में तैयारियों का दौर जारी है। शहर के विभिन्न इलाकों में प्रशासन और जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी (JNAC) द्वारा घाटों की सफाई और सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। लेकिन इन तैयारियों के बीच स्वर्णरेखा नदी के कई प्रमुख घाटों की स्थिति प्रशासनिक दावों की पोल खोल रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि JNAC द्वारा जहां कैमरों के सामने सफाई अभियान चलाकर अपनी उपलब्धियों का प्रचार किया जा रहा है, वहीं वास्तविकता यह है कि स्वर्णरेखा नदी के दूरवर्ती घाट, जहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु छठ व्रत करते हैं, आज भी गंदगी और अव्यवस्था से जूझ रहे हैं। नदी किनारे फैला कचरा, कीचड़, और जलभराव श्रद्धालुओं की सुरक्षा और धार्मिक आस्था के लिए गंभीर चुनौती बन गया है।
व्रतधारियों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी केवल उन्हीं घाटों तक सफाई अभियान सीमित रखते हैं जहां मीडिया कवरेज की संभावना होती है। लेकिन जिन घाटों पर आम लोग पूजा करते हैं, वहां सफाई का कोई नामोनिशान नहीं है। जबकि JNAC को पूरे छठ घाट क्षेत्र की साफ-सफाई और व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
लोगों ने सवाल उठाया है कि जब हर साल करोड़ों रुपये सफाई और घाट विकास के नाम पर खर्च किए जाते हैं, तो आखिर यह राशि कहां जा रही है? स्थानीय निवासियों का आरोप है कि “एक आंख में काजल और दूसरी में सुरमा” की तरह JNAC दोहरी नीति अपना रहा है — एक ओर दिखावे के लिए सजावट, दूसरी ओर लापरवाही और अनदेखी।
छठ महापर्व जैसे पवित्र आयोजन में इस तरह की असमानता से श्रद्धालुओं में नाराजगी देखी जा रही है। अब लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द संज्ञान लेकर सभी घाटों की समान रूप से सफाई और व्यवस्था सुनिश्चित करेगा, ताकि व्रतधारी बिना किसी परेशानी के श्रद्धा और भक्ति से सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर सकें।