जमशेदपुर: शहर में आत्महत्या की कोशिश के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। मंगलवार को सोनारी डोबो ब्रिज पर उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक अज्ञात युवती ने स्वर्णरेखा के डोबो नदी में छलांग लगाने की कोशिश की। हालांकि वहां मौजूद लोगों की सूझबूझ और तत्परता से बड़ी घटना टल गई। युवती को कड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह बचा लिया गया। इसके बाद लोगों ने उसे काफी समझाया और शांत कराया।

सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची और युवती को अपनी अभिरक्षा में लिया। फिलहाल युवती कौन है, कहाँ की रहने वाली है और आखिर उसने जान देने की कोशिश क्यों की, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आ सकी है। पुलिस युवती से पूछताछ कर मामले की तहकीकात में जुटी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से सोनारी डोबो ब्रिज पर नदी में छलांग लगाने की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं। हर बार अलग-अलग लोग किसी न किसी वजह से यह खतरनाक कदम उठाने की कोशिश करते हैं। ऐसे मामलों ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर युवाओं और महिलाओं के भीतर इतना तनाव क्यों बढ़ रहा है।
आज के दौर में बेरोजगारी, पारिवारिक कलह, रिश्तों में धोखा और मानसिक दबाव जैसी परिस्थितियाँ इंसानों को तोड़ रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सचमुच जान देना किसी समस्या का हल है? मौत चुन लेने से न तो समस्या खत्म होती है और न ही परेशानियों का समाधान मिलता है, बल्कि परिवार और समाज के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का मुख्य कारण है संवाद की कमी। जब लोग अपनी तकलीफें, गुस्सा या निराशा साझा नहीं कर पाते तो वे गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में समाज के हर वर्ग को संवेदनशील बनने और ज़रूरतमंद लोगों को सहारा देने की आवश्यकता है।
यह घटना एक चेतावनी है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से काम करने की ज़रूरत है। देखा-देखी या क्षणिक गुस्से में जान देना किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। जीवन अनमोल है, और हर समस्या का हल बातचीत, सहयोग और धैर्य से ही संभव है।