जमशेदपुर : जुस्को की कार्रवाई से उठी बवाल की आंधी, भाजपा नेताओं ने गरीब विक्रेताओं के समर्थन में बेची झालमुड़ी

जमशेदपुर: भारतीय उद्योग के जनक जमशेदजी टाटा के सपनों का शहर इन दिनों एक अलग वजह से चर्चा में है। शहर के प्रतिष्ठित जुबिली पार्क में छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले गरीब तबके के लोगों को हटाए जाने की कार्रवाई ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। आरोप है कि टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई जुस्को (जमशेदपुर यूटिलिटीज एंड सर्विस कंपनी) इन दिनों गरीब विक्रेताओं को जबरन खदेड़ने का काम कर रही है।

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स्थानीय लोगों और पीड़ित दुकानदारों का कहना है कि वे वर्षों से पार्क के आसपास झालमुड़ी और अन्य छोटे-मोटे सामान बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। उनकी रोज़ की कमाई से ही घर का चूल्हा जलता है। लेकिन अब जुस्को की ओर से उन्हें अचानक हटाया जा रहा है। पीड़ितों का आरोप है कि उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही और जिला प्रशासन भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। इससे विक्रेताओं के सामने रोज़गार और परिवार पालने का संकट गहरा गया है।

 

इधर, इस कार्रवाई को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। जमशेदपुर महानगर भाजपा ने इसे गरीबों के साथ अन्याय बताते हुए विरोध तेज कर दिया है। मंगलवार को भाजपा जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा और युवा नेता नीरज सिंह जुबिली पार्क पहुंचे और वहां झालमुड़ी बेचकर जुस्को को खुली चुनौती दी। भाजपा नेताओं ने साफ कहा कि गरीबों की रोज़ी-रोटी छीनने का कोई भी प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में फिर से गरीब विक्रेताओं को परेशान किया गया, तो पार्टी जुस्को और जिला प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन करेगी।

 

भाजपा नेताओं के इस कदम से मामला और गरमाता जा रहा है। अब शहरवासियों की निगाहें जिला प्रशासन और जुस्को पर टिकी हैं कि वे इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। जहां एक ओर जुस्को शहर की सफाई और सौंदर्यीकरण को आधार मानकर कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर गरीब तबके के लोग इसे अपनी रोज़ी-रोटी पर हमला बता रहे हैं।

 

फिलहाल, जुबिली पार्क में झालमुड़ी बेचने वालों का मुद्दा सिर्फ रोज़गार का नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और मानवता का भी सवाल बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन गरीबों की पीड़ा को समझकर कोई समाधान निकालता है या मामला और ज्यादा तूल पकड़ता है।