जमशेदपुर: आठ साल पुराने बहुचर्चित नागाडीह कांड में आखिरकार न्याय की गूंज सुनाई दी है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पांच आरोपितों को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। जिन दोषियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, उनमें राजाराम हांसदा, रेंगी पूर्ति, गोपाल हांसदा, सुनील सरदार और तारा मंडल शामिल हैं। वहीं साक्ष्यों के अभाव में कई आरोपितों को बरी कर दिया गया।

क्या है नागाडीह कांड?
यह वही सनसनीखेज मामला है जिसने 18 मई 2017 की शाम पूरे देश को झकझोर दिया था। बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह गांव में बच्चा चोरी की अफवाह ने देखते-ही-देखते विकराल रूप ले लिया। भीड़ का रूप धारण किए ग्रामीणों ने तीन युवकों—जुगसलाई नया बाजार निवासी विकास वर्मा, उसके भाई गौतम वर्मा और गाढ़ाबासा निवासी गंगेश—को पुलिस की मौजूदगी में ही बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया।
घटना की भयावहता यहीं खत्म नहीं हुई। 76 वर्षीय रामसखी देवी, जो उन्हीं तीनों युवकों की दादी थीं, भीड़ से अपने पोतों को बचाने की गुहार लगाती रहीं। लेकिन उग्र भीड़ ने उनकी एक न सुनी और उन पर भी हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल रामसखी देवी की एक महीने बाद, 20 जून 2017 को मौत हो गई। इस तरह नागाडीह कांड ने एक ही परिवार की पूरी पीढ़ी को तबाह कर दिया।
न्याय की लंबी लड़ाई
इस हत्याकांड में बागबेड़ा थाना में जगत मार्डी, मुखिया राजाराम हांसदा सहित 15 नामजद और करीब 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। कुल 28 लोगों पर आरोप तय किए गए। मामला वर्षों तक अदालत में लंबित रहा। 2023 में चंडीगढ़ से आई एफएसएल रिपोर्ट ने इस मामले में अहम मोड़ दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने पांच को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि अन्य को बरी कर दिया।
परिवार की पीड़ा और उम्मीद
मृतकों के परिजन अब भी उस भयावह रात को याद कर सिहर उठते हैं। प्रत्यक्षदर्शी उत्तम वर्मा ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि घटना किसी साजिश से कम नहीं थी। उनके अनुसार, पुलिस की मौजूदगी में भीड़ ने हत्या की और पुलिस पर भी हमला किया गया। “आज जब फैसला आया है, तो यह हमारे लिए न्याय की एक किरण है, लेकिन हमारे जख्म कभी नहीं भरेंगे,” उन्होंने भावुक होकर कहा।