रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा नगर निकायों के चुनाव कराने में लगातार हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मंगलवार को इस मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने तीखी टिप्पणी की और मुख्य सचिव एवं नगर विकास सचिव को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया। जस्टिस आनंदा सेन की पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब अदालत के आदेश की बार-बार अवहेलना की जा रही है, तो क्यों न मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख तय की है और निर्देश दिया है कि मुख्य सचिव अगली सुनवाई में नगर निकाय चुनाव की स्पष्ट टाइमलाइन प्रस्तुत करें। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि अब और विलंब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि सरकार गंभीरता नहीं दिखाती है तो अवमानना की सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका पर 4 जनवरी 2024 को अदालत ने आदेश दिया था कि तीन सप्ताह के भीतर राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव करा लिए जाएं। लेकिन, इस आदेश का आज तक अनुपालन नहीं हुआ। इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने दलीलें रखते हुए कहा कि सरकार अदालत के आदेशों की लगातार अनदेखी कर रही है, जबकि संवैधानिक व्यवस्था के तहत समय पर चुनाव होना अनिवार्य है।
राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायतों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है। नियमानुसार 27 अप्रैल 2023 तक नए चुनाव कराए जाने थे, लेकिन अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। इस कारण पिछले लगभग दो वर्षों से राज्य के सभी शहरी निकाय प्रशासकों के हवाले हैं और निर्वाचित प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं बची है। इससे लोकतांत्रिक ढांचे और जनप्रतिनिधित्व पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।
राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि चुनाव कराने से पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करना आवश्यक है। इसके लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ की प्रक्रिया लगभग एक साल पहले शुरू की गई थी, लेकिन यह अब तक पूरी नहीं हो पाई है। सरकार का कहना है कि जब तक ओबीसी आरक्षण को लेकर कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक चुनाव कराना संभव नहीं है।
कोर्ट ने इससे पहले भी सरकार के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य प्रशासन न्यायालय के आदेशों की अनदेखी कर ‘रूल ऑफ लॉ’ की धज्जियां उड़ा रहा है। अदालत ने यहां तक कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है मानो राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।
अब 10 सितंबर की सुनवाई बेहद अहम मानी जा रही है। इस दिन यह तय होगा कि सरकार नगर निकाय चुनाव कराने की ठोस योजना और समयसीमा प्रस्तुत करती है या फिर मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की राह प्रशस्त होती है।