रांची: झारखंड की राजनीति के पुरोधा और जनजातीय समाज के मसीहा दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। शनिवार देर रात दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी उम्र 80 वर्ष थी। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे शिबू सोरेन के निधन की खबर सबसे पहले उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने अपने पिता के निधन को “व्यक्तिगत नहीं, एक युग का अंत” बताया।

शिबू सोरेन के निधन के बाद झारखंड सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान 4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे और कोई भी राजकीय कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। साथ ही, शोक की अवधि तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
सरकारी जानकारी के अनुसार, दिशोम गुरु का पार्थिव शरीर आज देर शाम रांची लाया जाएगा। सबसे पहले उन्हें मोरहाबादी स्थित मुख्यमंत्री आवास लाया जाएगा, जहां मुख्यमंत्री परिवार और करीबी लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।
इसके बाद 5 अगस्त की सुबह पार्थिव शरीर को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के पार्टी कार्यालय ले जाया जाएगा, जहां पार्टी कार्यकर्ता, समर्थक और आम जनता उन्हें अंतिम विदाई देंगे।
फिर उनका पार्थिव शरीर झारखंड विधानसभा परिसर में लाया जाएगा, जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
अंतिम चरण में, उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नेमरा (बोकारो जिले में स्थित) ले जाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
झारखंड के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में शिबू सोरेन एक ऐसा नाम रहे, जिन्होंने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया। उनके निधन से झारखंड ने एक युगद्रष्टा नेता को खो दिया है।
शोक संवेदनाएँ व्यक्त कर रहे नेता व समाज के विभिन्न वर्ग
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी समेत तमाम राष्ट्रीय नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताया है। झारखंड के विभिन्न इलाकों में भी आम लोगों और जनजातीय समुदायों में गहरा दुख देखा जा रहा है।