दुर्गा पूजा के दौरान लगातार हो रही बारिश के बीच झारखंड स्थित मेधन और पंचेत डैम से दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने करीब 1.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा। इस निर्णय से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा और वर्धमान जिलों में अचानक बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। इससे राज्य के कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया और दुर्गा पूजा की रौनक पर भी पानी फिर गया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने एक्स (Twitter) हैंडल से डीवीसी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बिना पूर्व सूचना के झारखंड से अचानक पानी छोड़ा गया, जिससे “कृत्रिम आपदा” की स्थिति बन गई है। ममता ने इस कदम को “शर्मनाक, अस्वीकार्य और दुखद” करार दिया। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा जैसे बड़े उत्सव के समय इस तरह की लापरवाही ने जनता को बेवजह संकट में डाल दिया है।
दूसरी ओर, डीवीसी ने ममता बनर्जी के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। डीवीसी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पानी छोड़ने की पूरी प्रक्रिया दामोदर वैली फ्लड रेगुलेशन कमेटी की सहमति से की गई थी। इस कमेटी में केंद्र सरकार, झारखंड सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार—तीनों के प्रतिनिधि शामिल रहते हैं। डीवीसी अधिकारियों के अनुसार, 3 अक्टूबर को ही संबंधित अधिकारियों को पत्र के माध्यम से सूचना भेज दी गई थी, इसलिए बिना जानकारी के पानी छोड़े जाने का आरोप निराधार है।
जानकारी के मुताबिक, तेनुघाट डैम से 2 और 3 अक्टूबर को पानी छोड़ा गया था। इसके बाद जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी होने पर 5 अक्टूबर को मैधन डैम के चार गैलरी और चार गेट खोले गए। इसी प्रक्रिया के तहत पंचेत डैम से भी पानी छोड़ा गया।
ममता बनर्जी ने इसे लेकर केंद्र सरकार और डीवीसी दोनों से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से उठाएगी क्योंकि इस तरह के कदम से जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड और केंद्र सरकार की निष्क्रियता की वजह से पश्चिम बंगाल को बार-बार कृत्रिम बाढ़ का सामना करना पड़ता है।
फिलहाल, बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। निचले इलाकों में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है और प्रशासन लगातार हालात पर नजर रखे हुए है।