रांची: हेमंत सोरेन सरकार राज्य के प्रतिभाशाली आदिवासी छात्र-छात्राओं को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने की दिशा में एक नई और महत्वपूर्ण पहल शुरू करने जा रही है। योजना के तहत हर वर्ष 300 मेधावी आदिवासी विद्यार्थियों को नीट (NEET) और जेईई (JEE) जैसी कठिन प्रवेश परीक्षाओं के लिए मुफ्त आवासीय कोचिंग दी जाएगी। कल्याण विभाग इस योजना के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी निभा रहा है।

फिलहाल एजेंसी चयन की प्रक्रिया जारी
योजना के तहत कोचिंग संचालित करने वाली एजेंसी का चयन ओपन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिसे 13 अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। एजेंसी चयन के बाद छात्रों की मेरिट आधारित प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी, जिसके माध्यम से योग्य विद्यार्थियों को कोचिंग की सुविधा दी जाएगी।
छात्रों को मिलेंगी दो स्तरों पर सुविधाएं
कल्याण विभाग के अनुसार, कोचिंग के लिए छात्रों को उनकी कक्षा के अनुसार दो अलग बैचों में बांटा जाएगा:
- 11वीं के छात्र:
- 2 साल की कोचिंग
- 75 छात्र JEE और 75 छात्र NEET के लिए चुने जाएंगे।
- 12वीं के छात्र:
- 1 साल की कोचिंग
- 75 छात्र JEE और 75 छात्र NEET के लिए चयनित होंगे।
रांची के हिंदपीढ़ी में होगा अस्थायी सेंटर, प्रस्तावित भवन निर्माण भी जल्द
शुरुआती चरण में यह कोचिंग रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में स्थित कल्याण विभाग की इमारतों में चलाई जाएगी। विभाग ने नए भवन निर्माण का प्रस्ताव भी तैयार किया है। जब तक नई इमारतें नहीं बन जातीं, छात्रों के रहने-खाने और पढ़ाई की पूरी व्यवस्था हिंदपीढ़ी के मौजूदा भवनों में की जाएगी।
सुरक्षा को लेकर विभाग ने दिया भरोसा
हिंदपीढ़ी में कोचिंग सेंटर को लेकर उठ रहे सुरक्षा संबंधी सवालों के जवाब में कल्याण विभाग के सचिव कृपानंद झा ने भरोसा दिलाया कि उन्होंने स्वयं स्थल का निरीक्षण किया है। उनके अनुसार, इमारतें घनी आबादी के बीच सुरक्षित स्थान पर स्थित हैं और वहां छात्रों के लिए उपयुक्त माहौल है।
‘आकांक्षा योजना’ से मिली प्रेरणा
यह योजना राज्य सरकार की पहले से चल रही ‘आकांक्षा योजना’ से प्रेरित है, जिसके अंतर्गत मेडिकल और इंजीनियरिंग की मुफ्त आवासीय कोचिंग दी जाती रही है। 2016-17 में शुरू हुई इस योजना ने सैकड़ों छात्रों को उत्कृष्ट संस्थानों में दाखिला दिलाने में मदद की है। अब कल्याण विभाग उसी मॉडल को आदिवासी समुदाय तक विस्तारित करने जा रहा है।