नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए, जिनमें स्पष्ट प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक जेल में रहता है, तो 31वें दिन उसे पद छोड़ना अनिवार्य होगा।

यह प्रस्ताव पेश होते ही विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया। कांग्रेस, AIMIM और समाजवादी पार्टी ने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताया। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना का उल्लंघन है। हंगामे के बीच अमित शाह ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की सिफारिश की।
क्यों लाया गया बिल?
केंद्र ने इस कानून की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि हाल ही में कई मामलों में मंत्री या मुख्यमंत्री गिरफ्तारी के बाद भी लंबे समय तक पद पर बने रहे, जिससे शासन व्यवस्था प्रभावित हुई।
अरविंद केजरीवाल (दिल्ली CM) ने गिरफ्तारी के करीब छह महीने बाद इस्तीफा दिया।
वी. सेंथिल बालाजी (तमिलनाडु मंत्री) 241 दिन जेल में रहते हुए भी मंत्री पद पर बने रहे।
सरकार का कहना है कि अब तक केवल दोषी ठहराए जाने पर ही पद से हटाने का प्रावधान था। लेकिन गिरफ्तारी की स्थिति में कोई स्पष्ट कानून नहीं था, जिससे भ्रम और विवाद की स्थिति पैदा होती रही।
ऑनलाइन मनी गेमिंग पर भी सख्ती
गृहमंत्री अमित शाह ने इसी के साथ ऑनलाइन मनी गेमिंग पर रोक लगाने के लिए भी एक अलग बिल पेश किया। इसमें प्रावधान है कि दोषी पाए जाने पर तीन साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकेगा।
सरकार का दावा
केंद्र का कहना है कि इन नए प्रावधानों से लोकतंत्र और सुशासन मजबूत होंगे तथा जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।