चाईबासा में आदिवासी समुदाय पर हुए कथित पुलिस लाठीचार्ज को लेकर झारखंड की सियासत गरमा गई है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता चंपई सोरेन ने मंगलवार को इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए बुधवार को कोल्हान बंद का आह्वान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की वर्तमान सरकार आदिवासियों और मूलवासियों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।

चंपई सोरेन ने कहा कि सोमवार को बड़ी संख्या में आदिवासी लोग झारखंड के परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ के चाईबासा स्थित आवास का घेराव करने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-220 और एनएच-75ई पर दिन के समय भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाई जाए, क्योंकि लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं से आम लोगों की जान खतरे में पड़ रही है। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और आदिवासी केवल अपनी बात मंत्री तक पहुंचाना चाहते थे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मंत्री के आवास पर प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन ने सोमवार रात आठ बजे से मंत्री के घर के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए, जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया। सोरेन के मुताबिक, “पुलिस ने न केवल लाठीचार्ज किया बल्कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे।” उन्होंने दावा किया कि इस दौरान चार लोगों को गिरफ्तार किया गया और 17 लोग लापता हैं।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने संवाद की जगह लाठीचार्ज का रास्ता चुना। चंपई सोरेन ने कहा, “यह सरकार पूरी तरह से आदिवासी विरोधी है। आदिवासियों की वैध मांगों को सुनने के बजाय उन पर अत्याचार किया जा रहा है।” उन्होंने आदिवासी और मूलवासी समुदाय से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर इस “अन्यायपूर्ण” शासन के खिलाफ आवाज उठाएं।
चंपई सोरेन ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही पीड़ितों के साथ न्याय नहीं किया और गिरफ्तार आदिवासियों को रिहा नहीं किया, तो आंदोलन और व्यापक होगा। उन्होंने कहा कि बुधवार को कोल्हान क्षेत्र में बंद रखा जाएगा, ताकि सरकार को आदिवासी समुदाय की पीड़ा का एहसास हो सके।