“RTI मांगी थी, रद्दी मिल गई! कुरुक्षेत्र में एक्टिविस्ट को मिला कागजों का पहाड़, खर्च हुए 80 हजार!”

कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पारदर्शिता की मांग करने वाले एक आरटीआई एक्टिविस्ट को सरकारी विभाग ने जानकारी तो दी, मगर इतने ‘भारी’ अंदाज में कि अब वे खुद जानकारी के बोझ तले दबे नजर आ रहे हैं। पब्लिक हेल्थ विभाग से महज दो साल का लेखा-जोखा मांगना इतना ‘महंगा’ पड़ जाएगा, इसका अंदाजा शायद खुद एक्टिविस्ट को भी नहीं था।

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जानकारी के नाम पर विभाग ने उन्हें करीब 37 हजार पन्नों का एक क्विंटल वजनी कागजों का पुलिंदा थमा दिया। इसके बदले में उनसे करीब 80,000 रुपए वसूले गए। RTI एक्टिविस्ट ने बताया कि यह सब तब हुआ जब उन्होंने पब्लिक हेल्थ विभाग से बीते दो साल की योजनाओं और खर्चों का ब्योरा मांगा था।

 

दिलचस्प बात यह है कि इतना भारी-भरकम जवाब मिलने के बावजूद भी मांगी गई जानकारी अधूरी है। जब इस मामले की शिकायत जिला उपायुक्त (DC) तक पहुंची, तब जाकर विभाग के अधिकारियों को फटकार पड़ी। इसके बावजूद अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली को नियमसंगत ठहराते हुए कह रहे हैं कि “आरटीआई नियमों के तहत प्रति पृष्ठ दो रुपए लिए गए हैं।”

अपील की तैयारी

अब इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट ने राज्य सूचना आयुक्त के पास अपील दाखिल की है। उनका कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता को हतोत्साहित करने की कोशिश है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जानकारी चाहिए थी, लेकिन जवाब के नाम पर ऐसा ‘पेपर अटैक’ हुआ कि अब पढ़ने से पहले वजन उठाने की ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी।”

जानकारों की राय

सूचना अधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि यह सरकारी विभागों द्वारा पारदर्शिता से बचने की एक पुरानी रणनीति है – “जानकारी तो देंगे, लेकिन इस अंदाज में कि कोई दोबारा RTI लगाने की हिम्मत न करे।”