पुरी, ओडिशा से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हो गए हैं। रविवार सुबह गुनदीचा मंदिर के पास यह दुखद घटना हुई।

घटनास्थल से मिले प्रारंभिक दृश्य बेहद दर्दनाक हैं। पोस्टमार्टम केंद्र के बाहर पीड़ितों के परिजन विलाप करते नजर आए। एक व्यक्ति, जिसने अपनी पत्नी को इस भगदड़ में खो दिया, ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए। उसने कहा, “जब यह हादसा हुआ, तब कोई भी मदद के लिए नहीं आया — न दमकल विभाग, न बचाव दल, न अस्पताल कर्मचारी। यह एक हृदयविदारक घटना है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।”
प्रशासनिक अव्यवस्था बनी हादसे की वजह?
स्थानीय निवासी स्वाधीन कुमार पांडा ने भी प्रशासन की लापरवाही पर रोष जताया। उन्होंने बताया, “मैं रात दो-तीन बजे तक मंदिर के पास था। व्यवस्था बहुत खराब थी। वीआईपी के लिए नया रास्ता बना दिया गया और आम लोगों को दूर से बाहर निकलने को कहा गया। इससे भीड़ उलझ गई।”
स्वाधीन का आरोप है कि ट्रैफिक नियंत्रण पूरी तरह फेल रहा और बिना मान्यता वाले वाहनों को भी मंदिर के पास आने दिया गया। इससे स्थिति और बिगड़ गई। उनका कहना है कि प्रशासन ने पहले भी रथ यात्रा के दौरान हुई मौतों को छिपाया था और अब भी पारदर्शिता की कमी दिख रही है।
श्रद्धा में उमड़ा जनसैलाब बना जानलेवा भीड़
तीसरे दिन की रथ यात्रा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ खींचने पहुंचे थे। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जहां तीनों देवताओं के रथ जगन्नाथ मंदिर से गुनदीचा मंदिर तक खींचे जाते हैं। इस दौरान भीड़ का जोश और आस्था चरम पर होती है, लेकिन इस बार भीड़ की संख्या पर नियंत्रण न होने के कारण यह पवित्र अवसर दुखद बन गया।
प्रशासन पर उठे सवाल, नहीं थी रात में कोई व्यवस्था
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रात में पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था नदारद थी। न कोई पुलिसकर्मी मौजूद था और न ही भीड़ नियंत्रण के लिए कोई बैरिकेडिंग। रथ यात्रा के आयोजन के इतने वर्षों बाद भी प्रशासन की इतनी बड़ी चूक ने सभी को चौंका दिया है।
तीन मृतकों में दो महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। घटना के बाद इलाके में भारी तनाव और अफरातफरी का माहौल है। घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
यात्रा जारी लेकिन मनों में डर और गुस्सा
रथ यात्रा 28 जून को शुरू हुई थी और 1 जुलाई को इसका समापन होगा, जब भगवान जगन्नाथ अपने दोनों भाई-बहनों के साथ वापस मंदिर लौटेंगे। लेकिन इस साल की यात्रा लोगों के लिए आस्था से अधिक दर्द और भय की वजह बन गई है।
श्रद्धालुओं की मांग है कि इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए। वहीं राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।