देवघर: सावन में बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा श्रद्धा, आस्था और विश्वास की मिसाल होती है। हर साल लाखों कांवरिए दूर-दूर से शिव के दरबार में जल चढ़ाने पहुंचते हैं, अपनी मुरादें लेकर। लेकिन इस बार की यात्रा कुछ श्रद्धालुओं के लिए सिर्फ आस्था की नहीं, दर्द और त्रासदी की यात्रा बन गई। गया (बिहार) के सुनील कुमार दास के लिए तो यह एक ऐसा झटका था, जिसने उनका पूरा संसार उजाड़ दिया।

पत्नी संग पहुंचे थे बाबा से मन्नत मांगने, लौटा अकेला
सुनील कुमार दास, गया जिले के सोलरा गांव (प्रखंड परैया) के रहने वाले हैं। बीते वर्ष वे अकेले बाबा पर जल चढ़ाकर लौटे थे। इस बार गांव के लोगों की सलाह पर वे अपनी पत्नी सुमन कुमारी (30) को साथ लेकर निकले थे। मान्यता थी कि दंपती साथ बाबा के दरबार में जाएं तो संतान की मनोकामना जल्द पूरी होती है।
वे सुल्तानगंज से कांवर यात्रा पर निकले और तीसरी सोमवारी को बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाया। मंगलवार की सुबह जब वे शिवगंगा में स्नान कर बासुकीनाथ के लिए अस्थायी बस में सवार हुए, तब उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि यह सफर उनकी पत्नी के जीवन का आखिरी सफर बन जाएगा।
मोहनपुर में दर्दनाक हादसा, चार की मौके पर मौत
बस जैसे ही देवघर के मोहनपुर क्षेत्र में पहुंची, श्रद्धालुओं से भरी बस की टक्कर गैस सिलेंडर लदे ट्रक से हो गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि सुमन कुमारी की मौके पर ही मौत हो गई। सुनील खुद भी घायल हुए। जब स्थानीय लोगों ने उन्हें बाहर निकाला और पत्नी की मौत की सूचना दी, तो वे पूरी तरह टूट गए।
देवघर सदर अस्पताल के बाहर एक कुर्सी पर बैठकर वे बार-बार यही कह रहे थे –
“भोलेनाथ से बेटा मांगने आया था, पत्नी को ही खो दिया।”
और फिर फूट-फूटकर रोने लगे।
मौत का आंकड़ा: 6 श्रद्धालुओं की गई जान
हादसे में कुल छह लोगों की मौत हुई है, जिनमें चार की मौत मौके पर, जबकि दो ने इलाज के दौरान दम तोड़ा।
मौके पर मृतक:
- सामदा देवी (38), पति – देवकी प्रसाद, तरेगना, पटना
- सुमन कुमारी (30), पति – सुनील कुमार दास, सोनरा, गया
- दुर्गावती देवी (45), पति – गामा ढांगर, पश्चिमी चंपारण
- सुभाष तुरी (30), बस चालक, मोहनपुर, देवघर
सदर अस्पताल में दम तोड़ने वाले:
- शिवराज उर्फ पीयूष (17), पिता – सुनील पंडित, वैशाली
एम्स देवघर में मृतक:
- देवकी प्रसाद (45), तरेगना, पटना
श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस भीषण हादसे ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सावन जैसे भीड़-भाड़ वाले सीजन में प्रशासन द्वारा वाहनों की चेकिंग और रूट प्लानिंग की समीक्षा की मांग उठ रही है।
अब लौटेगा एक टूटा हुआ कांवरिया…
अब सुनील दास अकेले घर लौटेंगे – कांवर तो साथ नहीं होगा, और वो जीवन संगिनी भी नहीं, जिसे साथ लेकर मन्नत मांगने आए थे। यह हादसा केवल एक व्यक्ति की निजी त्रासदी नहीं, बल्कि आस्था की उस यात्रा का कड़वा सच है, जिसमें सुरक्षा और संवेदनशीलता की कमी ने एक परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया।