रिम्स शासी परिषद की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और निदेशक के बीच फिर तनातनी

रांची: झारखंड की राजधानी रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में बुधवार को आयोजित शासी परिषद (गवर्निंग बॉडी) की 63वीं बैठक एक बार फिर विवादों में घिर गई। बैठक के दौरान रिम्स निदेशक और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। यह विवाद उस समय उत्पन्न हुआ जब एजेंडे के एक बिंदु पर निदेशक से उनके बिना अनुमति राज्य से बाहर जाने के संबंध में जवाब मांगा गया।

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बैठक में उपस्थित सदस्यों ने जब निदेशक से पूछा कि उन्होंने छुट्टी के लिए स्वीकृति लिए बिना राज्य से बाहर कैसे यात्रा की, तो निदेशक ने कहा कि उन्होंने दो माह पहले ही छुट्टी का आवेदन दिया था, परंतु उसे अस्वीकार कर दिया गया था। निदेशक ने कहा, “ऐसी स्थिति में मेरे पास छुट्टी लेकर कार्यक्रम में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अगर इसी तरह काम में अड़चनें आती रहीं तो कार्य करना कठिन हो जाएगा।”

 

उनके इस जवाब पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और स्वास्थ्य सचिव ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि काम करने में दिक्कत है तो वे पद छोड़ सकते हैं। इस पर निदेशक ने पलटवार करते हुए कहा कि “ऐसे कैसे पद छोड़ दूं, इसके लिए कुछ नियम-संगत प्रक्रिया होनी चाहिए।” स्थिति बिगड़ती देख सांसद संजय सेठ ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया और बैठक की आगे की कार्यवाही शुरू हुई।

 

तनाव के बावजूद बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। परिषद ने रिम्स के पावरग्रिड आश्रय गृह में रहने के शुल्क को घटाकर 100 रुपये से मात्र 20 रुपये प्रतिदिन करने का फैसला किया। यह निर्णय मरीजों और उनके परिजनों को बड़ी राहत देगा। इसके अलावा नेट मशीन की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई, जिससे जांच सुविधाओं में सुधार होगा।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक में कहा कि सरकार रिम्स को “मॉडल अस्पताल ऑफ झारखंड” बनाने के लक्ष्य पर तेजी से काम कर रही है। बैठक के दौरान कुल 17 एजेंडों पर निर्णय लिए गए, जिनमें रिम्स की मौजूदा सुविधाओं की समीक्षा, बुनियादी ढांचे के विकास, और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता सुधार पर विशेष चर्चा हुई।

 

बैठक में सांसद संजय सेठ, स्वास्थ्य सचिव, निदेशक समेत शासी परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। यह बैठक रिम्स के भविष्य के लिए कई अहम नीतिगत फैसलों का मार्ग प्रशस्त करने वाली साबित हुई, हालांकि मंत्री और निदेशक के बीच बढ़ती दूरी ने एक बार फिर संस्थान की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।