रांची: साल 2025 का दूसरा आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को लगने जा रहा है। खास बात यह है कि इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत भी हो रही है, जिसे बेहद दुर्लभ संयोग माना जा रहा है।

भारतीय समयानुसार यह चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू होगा और 1:26 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का चरम समय 11:42 बजे रहेगा, जब पूर्ण चंद्र ग्रहण साफ तौर पर दिखाई देगा। खगोलीय नियमों के अनुसार इसका सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से ही लागू हो जाएगा। सूतक लगते ही देशभर के मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे और पूजा-पाठ पर रोक रहेगी। धार्मिक मान्यता है कि सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना वर्जित होता है।
ज्योतिषीय संकेत
ज्योतिषविदों का मानना है कि यह चंद्र ग्रहण भारत के लिए अशुभ प्रभाव ला सकता है। विशेषकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में परिस्थितियां बिगड़ने और पर्वतीय इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका जताई गई है। इसके अलावा राजनीतिक अस्थिरता और बड़े नेताओं के स्वास्थ्य को लेकर भी कठिनाई के संकेत बताए जा रहे हैं।
भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़ने के साथ ही पश्चिमी देशों और मिडिल ईस्ट में भी अशांति की संभावना जताई गई है। पाकिस्तान में दुर्घटनाओं और अफरा-तफरी के योग बताए गए हैं। खासकर वायुयान और अग्नि से जुड़ी घटनाएं बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई है।
पितृपक्ष और धार्मिक महत्व
ग्रहण के दिन ही पूर्णिमा का श्राद्ध भी पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्यों ने सलाह दी है कि श्रद्धालु अपने धार्मिक कार्य दोपहर 12:57 बजे से पहले ही निपटा लें।
- पितरों का तर्पण और पिंडदान दोपहर से पहले करें।
- मंदिर जाकर पूजा-पाठ कर लें।
- तुलसी दल पहले ही तोड़कर सुरक्षित रख लें, ताकि उसे भोजन और जल में प्रयोग किया जा सके।
- खगोल, धर्म और ज्योतिष – तीनों ही दृष्टियों से यह चंद्र ग्रहण बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।