नई दिल्ली: अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार करने के आरोप में भारत की छह कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह कार्रवाई अमेरिकी कार्यकारी आदेश 13846 के तहत की गई है, जो ईरान की आर्थिक गतिविधियों और उसके ऊर्जा क्षेत्र पर अंकुश लगाने के लिए बनाया गया है।

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, इन कंपनियों ने जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच ईरान से करोड़ों डॉलर के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे, जो अमेरिका द्वारा लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन है।
भारत की छह कंपनियाँ प्रतिबंधित
जिन भारतीय कंपनियों को इस सूची में शामिल किया गया है, वे हैं:
- अल्केमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड
- ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड
- जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड
- रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी
- पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड
- कंचन पॉलिमर्स
इनमें सबसे बड़ा लेन-देन अल्केमिकल सॉल्यूशंस द्वारा किया गया, जिसने लगभग 84 मिलियन डॉलर (करीब ₹700 करोड़) के पेट्रोकेमिकल उत्पाद ईरान से आयात किए।
प्रतिबंधों के प्रभाव
प्रतिबंध लगने के बाद:
- इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद संपत्तियाँ और आर्थिक हित फ्रीज कर दिए जाएंगे।
- कोई भी अमेरिकी नागरिक या कंपनी अब इन फर्मों के साथ व्यापार, सेवा या वित्तीय लेन-देन नहीं कर सकेगी।
- यदि इन प्रतिबंधित कंपनियों की किसी अन्य संस्था में 50% या उससे अधिक की हिस्सेदारी है, तो वह भी इन प्रतिबंधों के दायरे में आ जाएगी।
अमेरिका की चेतावनी
अमेरिकी विदेश विभाग ने इस कार्रवाई को दंडात्मक के साथ-साथ निवारक कदम बताया है। विभाग ने कहा, “ईरानी शासन क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने और आतंकी संगठनों को फंड देने के लिए तेल और गैस से होने वाली आय का उपयोग करता है। ऐसे में जो भी देश या कंपनियाँ ईरान से व्यापार करती हैं, वे वैश्विक प्रतिबंधों की अवहेलना करती हैं और उन पर कार्रवाई जरूरी है।”
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर?
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा भी हाल ही में की है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव की संभावना पहले ही बनी हुई है। अब इन छह कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंध भारत की औद्योगिक साख और द्विपक्षीय रिश्तों पर और दबाव बढ़ा सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल छह कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह संकेत है कि आने वाले समय में भारत के उन व्यावसायिक संगठनों को अधिक सतर्क रहना होगा जो वैश्विक प्रतिबंधों वाले देशों के साथ व्यापार करते हैं।