झारखंड: सिदो-कान्हू की वीरता को स्मरण करने के लिए आयोजित हूल दिवस कार्यक्रम सोमवार को उस समय हिंसक हो गया जब दो गुटों के बीच विवाद ने उग्र रूप ले लिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर मौजूद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागे गए। इस घटना में कई लोग घायल हो गए हैं, जिनमें कुछ की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।

घटना भोगनाडीह गांव में उस समय हुई जब हूल दिवस समारोह में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंच के पास दो गुटों में किसी मुद्दे को लेकर बहस शुरू हुई, जो धीरे-धीरे हाथापाई और फिर पथराव में बदल गई। अचानक माहौल तनावपूर्ण हो गया और अफरा-तफरी मच गई।
स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने पहले लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब झड़प और तेज हो गई, तब पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। लाठीचार्ज के साथ-साथ भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए घटना में करीब एक दर्जन लोग घायल हुए हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ पुलिसकर्मी भी मामूली रूप से घायल हुए हैं।
प्रशासन का बयान:
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि “स्थिति अब नियंत्रण में है। हिंसा फैलाने वालों की पहचान की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार की घटनाएं ऐतिहासिक आयोजनों की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज
इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने प्रशासन पर लचर व्यवस्था का आरोप लगाया है और स्वतंत्र जांच की मांग की है। वहीं स्थानीय लोगों में भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नाराजगी देखी जा रही है।
गौरतलब है कि हूल दिवस हर साल 30 जून को झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों सिदो और कान्हू मुर्मू की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने 1855 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हूल विद्रोह की शुरुआत की थी। जांच जारी है, तनाव बना हुआ है। प्रशासन ने इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं और अपील की है कि लोग अफवाहो पर ध्यान न दें।