बिहार में सरकारी दस्तावेजों की मर्यादा इन दिनों मजाक बन गई है। खगड़िया जिले से सामने आया ताज़ा मामला तो हद ही पार कर गया। यहां निवास प्रमाण पत्र के लिए कौआ, फौजी पंछी, भगवान राम, माता सीता और यहां तक कि “डोग्गी बाबू” जैसे नामों से आवेदन किए गए हैं — और हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई को डिजिटल हस्ताक्षर के साथ सर्टिफिकेट भी जारी हो गया।

खगड़िया जिले के भदास गांव, वार्ड संख्या 4 से 12 दिसंबर 2024 को एक ऑनलाइन आवेदन आया, जिसमें नाम था “कौआ”, पिता का नाम “कौआ सिंह” और माता का नाम “मैना देवी”। आवेदन में तस्वीर भी असली कौए की ही लगी थी।
इसी तरह 28 मार्च को “अंकित कुमार” नाम से जो आवेदन आया, उसमें फोटो में एक उड़ता हुआ पक्षी नज़र आ रहा था। एक अन्य प्रमाण पत्र “पिंकी कुमारी” के नाम से जारी किया गया, लेकिन उसकी तस्वीर में एक फौजी दिखाई दे रहा है।
सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला मामला तब आया जब एक दस्तावेज में “श्री राम राम” के नाम का ज़िक्र था और उसमें भगवान राम की ही तस्वीर लगी हुई थी। इससे पहले “डोग्गी बाबू” नाम से जारी निवास प्रमाण पत्र भी वायरल हो चुका है, जिसमें बाकायदा राजस्व पदाधिकारी का डिजिटल हस्ताक्षर तक मौजूद था।
ये मामले ना केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करते हैं, बल्कि यह सवाल भी उठाते हैं कि बिहार में सरकारी दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर अब भरोसा कैसे किया जाए? जब किसान, छात्र और आम आदमी महीनों तक सही दस्तावेज के लिए चक्कर काटते रहते हैं, वहीं कौआ और कुत्ते सरकारी कागज़ आसानी से हथिया रहे हैं।
अब सवाल ये है कि ये खेल कौन खेल रहा है? ये तकनीकी गड़बड़ी है या किसी अंदरूनी मिलीभगत का नतीजा? और जब तक इसका जवाब नहीं मिलेगा, बिहार में फर्जीवाड़ा एक्सप्रेस यथावत दौड़ती रहेगी।