भारतीय रेलवे चुनिंदा स्टेशनों पर मेट्रो शैली की नियंत्रित प्रवेश प्रणाली शुरू करके स्थानीय ट्रेन प्रणाली को आधुनिक बनाने की योजना बना रही है।

परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?
मुंबई में लोकल ट्रेन प्रणाली 150 से अधिक वर्षों से चल रही है, जो हर दिन लाखों यात्रियों को ले जाती है। बढ़ती भीड़ और बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के साथ, मौजूदा प्रणाली इससे निपटने के लिए संघर्ष कर रही है। वातानुकूलित लोकल ट्रेनों की सफल शुरूआत की तरह, अधिकारियों का मानना है कि अब अधिक संरचित और कुशल यात्रा पद्धतियाँ लाने का समय आ गया है।
क्या बदलेगा?
- इस नई योजना के तहत, प्रवेश और निकास को नियंत्रित किया जाएगा – ठीक मेट्रो की तरह।
- यात्री केवल निर्धारित मार्गों से ही प्लेटफार्म पर प्रवेश करेंगे।
- प्रवेश द्वारों पर उचित टिकट और सुरक्षा जांच होगी।
- अब प्लेटफार्मों पर अनियमित पहुंच की अनुमति नहीं होगी, जिससे अराजकता कम होगी।
- इस प्रणाली से किराया चोरी कम करने और भीड़ को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।
- कम भीड़: उचित मार्ग का मतलब है अधिक व्यवस्थित प्रवेश और निकास।
- बेहतर सुरक्षा: कड़ी सुरक्षा जांच से जोखिम कम हो जाता है।
- अब किराये में हेराफेरी नहीं होगी: लोगों के लिए बिना टिकट यात्रा करना कठिन होगा
वर्तमान में, अधिकांश रेलवे स्टेशनों का लेआउट मेट्रो स्टेशनों जैसा नहीं है। इस समस्या को हल करने के लिए, रेलवे मुंबई के चुनिंदा स्टेशनों पर डेक (ऊंचे ढांचे) बना रहा है।
इन डेक पर जल्द ही टिकट काउंटर, सुरक्षा जांच और यात्रियों के आवागमन को प्रबंधित करने के लिए प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि यह पायलट प्रोजेक्ट देश भर में भविष्य के स्टेशन उन्नयन के लिए एक खाका के रूप में काम करेगा।