Jamshedpur: एनसीएलएटी ने कंपनी अपील इनसाल्वेंसी नंबर 2373/2024 में 7 जनवरी 2024 को पारित एक आदेश में टाटा द्वारा जमशेदपुर में बिना रजिस्ट्री (पंजीकरण) कराये दिये गये 10444 तथाकचित सबलीज (सब ग्रांट) और बिना रजिस्ट्री कराये व उसके परवर्ती सारे हस्तांतरणों को अवैध करार दिया है. ज्ञातव्य है कि एनसीएलटी, मुंबई ने एमए नंबर 1423/2019 सीपी आइबी नंबर 1339/एमबी/2019 में 4 अक्तूबर 2024 को पारित एक आदेश के द्वारा राहत हुसैन की कमानी सेंटर में स्थित एक दुकान, जो प्रिसिजन फास्टनर प्राईवेट लिमिटेड से खरीदी गयी थी तथा जिसका सेल डीड झारखण्ड सरकार के प्रतिबंध की वजह से रजिट्रेशन कानून में रजिस्टर्ड नहीं करायी गयी थी उसे अवैध घोषित कर राहत हुसैन को वह दुकान खाली करने का आदेश सुनाया था. एनसीएलटी ने उक्त दुकान को लीज समझते हुए फैसला दिया कि सेल डीड का रजिस्ट्रेशन नहीं होना ट्रांसफर ऑफ प्रापर्टी अधिनियम, 1882 की धारा 53 अ का उल्लंघन है जबकि जमशेदपुर की सारी जमीन सरकारी अनुदान (गर्वनमेंट ग्रांट) है जो ग्रोवर्नमेंट ग्रांट एक्ट 1895 के तहत आती है जिसमें सेल डीड का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है यह रजिस्ट्रेशन कानून की धारा 17 (2) (7) का अधिदेश है.
राहत हुसैन के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने एनसीएलएटी को बताया कि दिवालिया कानून, 2016, की धारा 43 (4) के अनुसार कंपनी के दो साल पुराने लेनदेन पर एनसीएलटी कोई फैसला नहीं दे सकती है, दूसरा जमशेदपुर की जमीन को अंग्रेजों ने टाटा स्टील को सरकारी अनुदान के रूप में दिया. टाटा ने सरकार की सहमति से नरभेराम एंड कंपनी को सबग्रांट (तथाकथित सबलीज) दिया जिसका डीड रजिस्टर्ड नहीं है. नरभेराम ने प्रिसिजन फास्टनर्स को सबग्रांट दिया जिसका सेल डीड भी रजिस्टर्ड नहीं है और अंत में राहत हुसैन के नाम से सेल डीड बना, जो भी रजिस्टर्ड नहीं है. उन्होंने एनसीएलएटी के समक्ष अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि अगर पहले के सारे सेल डीड रजिस्टर्ड नहीं हैं तो वे भी सारे के सारे अवैध करार दिये जायेंगे. उन्होंने आगे कहा कि जमशेदपुर की सारी जमीन सरकारी अनुदान है जो सरकारी एक्ट 1895 के तहत आती है जिसमें सेल डीड का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है यह रजिस्ट्रेशन कानून की धारा 17 (2) (7) का अधिदेश है. उन्होंने आगे कहा कि जमशेदपुर की जमीन लीज नहीं है और सरकारी अनुदान पर ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी का कानून लागू नहीं होता यह सरकारी ग्रांट एक्ट 1895 की धारा 2 का अधिदेश है.
उन्होंने आगे बताया कि अगर सेल डीड को ट्रांसफर ऑफ प्रापर्टी कानून के तहत अवैध घोषित किया गया ते जमशेदपुर की 10444 सबग्रांट (तथाकथित सबलीज) अवैच घोषित हो जायेंगी. एनसीएलएटी ने यह माना कि टाटा के पास 15725 एकड़ जमीन का कोई रजिस्टर्ड सेल डीड नहीं है वह एक्ट के तहत सही है पर बाद के हस्तांतरण का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. इस पर अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि सबग्रांट के रजिस्ट्रेशन का कोई कानून भारत में नहीं पर एनसीएलएटी ने उसे मानने से इंकार किया. हालांकि एनसीएलएटी ने मह नहीं बताया कि रजिस्ट्रेशन किस कानून के तहत होगा. ज्ञातव्य है कि बिहार और झारखंड सरकार ने सरकारी अनुदान को लीज करार दिया है जिसका खामियाजा जमशेदपुर के आम लोग भुगत रहे हैं. राहत हुसैन के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा की जमीन का मामला पब्लिक कानून का मामला है और इसका क्षेत्राधिकार जमशेदपुर की सिविल कोर्ट और झारखंड उच्च न्यायालय के पीस है एनसीएलटी और एनसीएलएटी को नहीं है वे इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय या झारखंड उच्च में ले जायेंगे. राहत हुसैन की तरफ से अखिलेश श्रीवास्तव, आकाश शर्मा, रिशव रंजन और अधिवक्ता आकृति ने माननीय एनसीएलएटी में बहस किया.