EPFO: ऑनलाइन बदल सकेंगे नाम और DOB, एम्प्लॉयर की परमिशन की नहीं होगी जरूरत

UAN एक अक्टूबर, 2017 से पहले जारी होने की स्थिति में नियोक्ता ईपीएफओ की मंजूरी के बिना भी विवरण को सही कर सकता है. ऐसे मामलों के लिए सहयोगी दस्तावेज़ की जरूरत को भी सरल बना दिया गया है. सेवानिवृत्ति कोष निकाय ईपीएफओ के 7.6 करोड़ से अधिक सदस्य अब नियोक्ता द्वारा किसी सत्यापन या ईपीएफओ की मंजूरी के बगैर भी नाम और जन्मतिथि जैसी व्यक्तिगत जानकारियों में ऑनलाइन बदलाव कर सकते हैं. यह सुविधा शनिवार से शुरू हो गई. इसके अलावा, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ई-केवाईसी ईपीएफ खाते (आधार से जुड़े) वाले सदस्य, नियोक्ता के हस्तक्षेप के बिना आधार ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) के साथ सीधे अपने ईपीएफ हस्तांतरण दावे ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं.

आज से शुरू हो गई ये सर्विस

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को ईपीएफओ की इन दोनों नई सेवाओं की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि ईपीएफओ सदस्यों द्वारा दर्ज लगभग 27 प्रतिशत शिकायतें सदस्य प्रोफाइल/ केवाईसी मुद्दों से संबंधित हैं और इस सुविधा के शुरू होने के बाद इन शिकायतों में उल्लेखनीय रूप से गिरावट आएगी. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के व्यक्तिगत विवरणों में संशोधन के अनुरोधों का लाभ भारी कार्यबल वाले बड़े नियोक्ताओं को भी होगा. श्रम मंत्री ने कहा कि ईपीएफओ ने ईपीएफओ पोर्टल पर संयुक्त घोषणा की प्रक्रिया को सरल बना दिया है. इससे कर्मचारियों को नाम, जन्म तिथि, लिंग, राष्ट्रीयता, पिता/माता का नाम, वैवाहिक स्थिति, पति/ पत्नी का नाम, कामकाजी संगठन से जुड़ने और छोड़ने की तिथि जैसी व्यक्तिगत जानकारियों में होने वाली आम त्रुटियों को खुद ही सुधारने की सुविधा मिल गई है.

2017 से पहले का होना चाहिए UAN

इसके लिए नियोक्ता द्वारा किसी सत्यापन या ईपीएफओ द्वारा अनुमोदन की जरूरत नहीं रह गई है. ऐसे मामलों में किसी सहयोगी दस्तावेज की भी जरूरत नहीं है. यह सुविधा उन सदस्यों के लिए उपलब्ध होगी, जिनका यूएएन एक अक्टूबर, 2017 (जब आधार से मिलान अनिवार्य हो गया था) के बाद जारी किया गया था.

 

यूएएन एक अक्टूबर, 2017 से पहले जारी होने की स्थिति में नियोक्ता ईपीएफओ की मंजूरी के बिना भी विवरण को सही कर सकता है. ऐसे मामलों के लिए सहयोगी दस्तावेज़ की जरूरत को भी सरल बना दिया गया है. उन्होंने बताया कि केवल उन मामलों में जहां यूएएन को आधार से नहीं जोड़ा गया है, वहां किसी भी सुधार को नियोक्ता के समक्ष भौतिक रूप से प्रस्तुत करना होगा तथा सत्यापन के बाद अनुमोदन के लिए ईपीएफओ को भेजना होगा.

इस वजह से लिया गया फैसला

यूएएन पंजीकरण नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के लिए शुरुआत में किया जाता है. कई कर्मचारियों के लिए, पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान या बाद में पिता/पति या पत्नी का नाम, वैवाहिक स्थिति, राष्ट्रीयता और सेवा विवरण दर्ज करने में नियोक्ताओं द्वारा गलतियां की गईं. इन त्रुटियों को ठीक करने के लिए कर्मचारी को सहायक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन अनुरोध करना पड़ता था. इस अनुरोध को नियोक्ता द्वारा सत्यापित करना होता था और उसे अनुमोदन के लिए ईपीएफओ को भी भेजा जाता था. इस प्रक्रिया को संयुक्त घोषणा कहा जाता था.

 

वित्त वर्ष 2024-25 में नियोक्ताओं द्वारा ईपीएफओ को भेजे गए आठ लाख अनुरोधों में से ऐसा देखने को मिला कि केवल 40 प्रतिशत अनुरोध ही पांच दिनों के भीतर भेजे गए जबकि 47 प्रतिशत अनुरोध 10 दिन बाद भेजे गए थे. इसमें नियोक्ता द्वारा लिया गया औसत समय 28 दिन का था. इस सरलीकरण से 45 प्रतिशत मामलों में कर्मचारी आधार ओटीपी सत्यापन के जरिये निजी सूचनाओं में तत्काल सुधार कर सकेंगे. शेष 50 प्रतिशत मामलों में नियोक्ता के माध्यम से सुधार किया जाएगा.