धर्मांतरण करने वाले लोगों को आड़े हाथों लेते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि जो भी व्यक्ति हमारी परंपराओं एवं रूढ़िवादी व्यवस्था ने बाहर निकल चुका है, उसे आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले से यह तय हो चुका है कि धर्म बदलने वालों को आरक्षण से बाहर किया जाना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में हमारा आदिवासी समाज दोतरफा मार झेल रहा है. एक ओर बांग्लादेशी घुसपैठिये भूमिपुत्रों की जमीनें लूट रहे हैं, हमारे समाज की बेटियों से विवाह कर पिछले दरवाजे से संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों में अतिक्रमण कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ लोग भोले-भाले आदिवासियों को ठगकर, उन्हें लालच देकर अथवा उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनका धर्मांतरण कर रहे हैं. बेहतर शिक्षा का अवसर पाकर ये धर्मांतरित लोग आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर कब्जा करते जा रहे हैं.
उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरना आदिवासी समाज के बच्चे इस रेस में पिछड़ते जा रहे हैं. आदिवासी समाज को यह सोचना होगा कि इसमें किसका नुकसान है? जब संविधान कहता है कि धर्म परिवर्तन करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए तो फिर ऐसा क्यों हो रहा है? जो लोग हमारी संस्कृति को भूल कर एक विदेशी धर्म के पीछे भाग रहे हैं, क्या उन्हें संविधान द्वारा हमारे समाज को दिये गये अधिकारों को हड़पने का कोई हक है?