Jharkhand: सरकारी नौकरी घोटाले का आरोप, बाबूलाल मरांडी ने लगाया गंभीर आरोप

झारखंड में एक नया घोटाला सामने आया है, जो सरकारी नौकरी से जुड़ा हुआ है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि हेमंत सोरेन सरकार में सरकारी नौकरी के पदों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। उनका कहना है कि सरकार ने युवाओं को नौकरी देने के नाम पर झारखंड के बेरोजगारों का भविष्य छीन लिया। आइए जानते हैं, क्या है इस बड़े घोटाले का पूरा सच?

क्या है आरोप?

रिक्त पदों में भारी गिरावट!

बाबूलाल मरांडी के मुताबिक, पिछले दो सालों में झारखंड में सरकारी रिक्त पदों की संख्या 4.66 लाख से घटकर केवल 1.59 लाख रह गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने कोई परीक्षा नहीं कराई और न ही कोई भर्ती की, जिसके कारण 2 लाख 7 हजार पद गायब हो गए। इस बदलाव से यह साफ हो गया कि सरकार बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रही है।

बाबूलाल मरांडी का गंभीर आरोप

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में यह आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार ने युवाओं के भविष्य को दीमक की तरह खोखला कर दिया है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार ने सही कदम नहीं उठाए तो झारखंड के युवाओं का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा।” मरांडी ने सरकार से यह सवाल किया कि आखिरकार यह 2 लाख से ज्यादा रिक्त पद कहां गए और क्यों बिना नियुक्ति के गायब हो गए।

क्या है झारखंड सरकार का जवाब?

हालांकि, हेमंत सोरेन सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। लेकिन सरकारी नौकरी के इस घोटाले पर विपक्ष के द्वारा उठाए गए सवालों के कारण सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। जब से यह मामला सार्वजनिक हुआ है, तब से सरकार की नीयत और उसके कामकाज पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या होगी सरकार की अगली कार्रवाई?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत सोरेन सरकार इस आरोप पर क्या कदम उठाती है। क्या वह इन रिक्त पदों को फिर से भरने के लिए किसी योजना की घोषणा करती है? या फिर बेरोजगार युवाओं को फिर से धोखा देने का सिलसिला जारी रहेगा? इस मुद्दे ने झारखंड में सरकार की नौकरी नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इस पर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य के युवाओं का भविष्य और भी ज्यादा अंधेरे में जा सकता है। भाजपा और विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार से जवाब की मांग कर रही हैं, और यह सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है।